नई दिल्ली: महाराष्ट्र संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट अब कल अपना फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने आज सुबह 10:30 सुनवाई शुरू की। महाराष्ट्र मामले में तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि मंगलवार (26 नवंबर) की सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएगा। फैसला सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के पत्र सौंपे, साथ ही अजित पवार के समर्थन वाला पत्र पेश किया।

मेहता ने पत्र पेश करते हुए कहा, अजित पवार ने कहा था हमारे पास 54 विधायक है और हम बीजेपी को समर्थन दे रहे हैं इसलिए हम चाहते है कि देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ के लिए बुलाया जाए।

इससे पहले छुट्टी के दिन विशेष सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की याचिका पर नोटिस जारी किए। गठबंधन ने फड़नवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल के निर्णय के विरोध में याचिका दायर की थीं। न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने फड़नवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को भी नोटिस जारी किए।

भाजपा और शिवसेना ने पिछले महीने गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़े और दोनों ने क्रमश: 105 और 56 सीटों पर जीत दर्ज की। बहरहाल, शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर भाजपा के साथ अपना तीन दशक पुराना संबंध तोड़ लिया था। कांग्रेस और राकांपा को विधानसभा चुनावों में क्रमश: 44 और 54 सीटें हासिल हुई थीं।

उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा, ‘‘शपथ ग्रहण फर्जी दस्तावेज के आधार पर हुए। देवेन्द्र फडणवीस के पास संख्या बल नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहतर होगा कि वह खुद मुख्यमंत्री पद छोड़ दें अन्यथा सदन में विश्वास मत के दौरान हार जाएंगे।’’ मलिक ने कहा कि रविवार सुबह तक राकांपा के ‘लापता’ पांच विधायकों में से दो लौट आए हैं और एक अन्य ने सोशल मीडिया पर संदेश जारी कर राकांपा के साथ होने के बात कही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम शेष विधायकों के शाम तक लौटने की उम्मीद करते हैं।’’