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मोदी राज में सबका विकास की जगह सबका विनाश हो रहा है: जे0पी0 अग्रवाल

लखनऊ: उ0प्र0 कांग्रेस द्वारा चलाये जा रहे 5 से 15 नवम्बर के आन्दोलन के तहत आज पहले दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जे0पी0 अग्रवाल ने कहा कि आखिरकार कांग्रेस पार्टी के दबाव में केन्द्र सरकार कोे मजबूर होकर आरसेप से कदम वापस खींचना पड़ा।

उन्होंने कहा, भाजपा का नारा था सबका साथ-सबका विकास, जबकि आज हो रहा है सबका विनाश। जिसमें होमगार्ड्स, अनुदेशक, आंगनबाड़ी, शिक्षा मित्र, स्वास्थ्यकर्मी, पेंशनार्थी, रसोइया, उर्दू शिक्षक, जनसेवक, बिजलीकर्मी आदि, सभी का दोहन एवं शोषण हो रहा है। उन्होने कहा कि अभी ताजा मामला 2600 करोड़ रूपये 45हजार से अधिक बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरांे की गाढ़ी कमाई को हड़प कर डिफाल्टर कंपनी को देना प्रदेश की योगी सरकार के आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबने का प्रमाण है। उ0प्र0 में बेरोजगारी दर पिछले 72 वर्षों में सर्वाधिक है, प्रदेश के युवाओं में बेरोजगारी दर 23 प्रतिशत तक पहुंच गयी है। देश में मंदी और तालाबंदी है, देश की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर है व रोजगार सृजन कोमा में है।

किसानों पर बोलते हुए श्री जे0पी0 अग्रवाल ने कहा, देश के अन्नदाताओं को लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत मुनाफा, समर्थन मूल्य से नहीं मिल पा रहा है। धान के किसानों को समर्थन मूल्य 18सौ रूपये प्रति कंुतल में से 200 रूपये से 600 रूपये तक कम मिला है। धान क्रय केन्द्रों पर धान की खरीद भी नहीं हो रही है। पूरे प्रदेश में खाद की किल्लत जारी है। गन्ना किसानों की स्थिति बदतर है। पेराई सत्र 2017-018 का चीनी मिलों पर सरकारी क्षेत्र में 1171 करोड़ रूपये, निगम क्षेत्र में 29 करोड़ एवं निजी क्षेत्र में 9179 करोड़ रूपये किसानों का गन्ना मूल्य बकाया है। बाढ़ के कारण बुरे हालत में पहुंचे प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों की हालत में सुधार के लिए प्रदेश के आलू उत्पादकों को सरकार की तरफ से कोई पैकेज नहीं दिया गया है।

उन्होंने कहा, भारत यूपीए-2 के समय विश्व की अर्थव्यवस्था में पांचवें नम्बर से आगे बढ़कर तीसरे नम्बर की प्रतिस्पर्धा कर रहा था किन्तु आज वह 5वें स्थान से खिसक कर 7वें स्थान पर आ गया है। औद्योगिक वृद्धि सिकुड़कर 1.1 प्रतिशत रह गयी है जो सात साल में सबसे कम है। बैंको का एनपीए बढ़कर 8लाख करोड़ रूपये हो गयी है। भाजपा सरकार के पांच सालों में बैंकों के धोखाधड़ी के लगभग 25 हजार मामले सामने आये जिनमें बैंकों को 1 लाख 74 हजार 255 करोड़ रूपये का चूना लगा। आर्थिक अराजकता की स्थिति यह है कि भाजपा सरकार अब आरबीआई इमरजेंसी रिजर्व को खाली करने से भी नहीं चूक रही। इस पैसे को युद्ध या फिर गंभीर वित्तीय संकट के दौरान देश की रक्षा के लिए सुरक्षित रखा जाता है। 1990 के बाद आरबीआई को खुले बाजार में अपना गोल्ड रिजर्व बेंचना पड़ा। कृषि सेक्टर की जीडीपी वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में गिरकर मात्र 2 प्रतिशत रह गयी।

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