नई दिल्ली: देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में लगातार तीसरे साल वृद्धि दर्ज की गई है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में पूरे देश में उत्तर प्रदेश पहले पायदान पर है। इस बारे में जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों से सामने आई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3 लाख 59 हजार आठ सौ उनचास मामले दर्ज किए गए हैं।

इससे पहले 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3.29 लाख और 2016 में 3.38 लाख मामले दर्ज किए गए थे। महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड हमले, महिलाओं के खिलाफ क्रूरता और अपहरण आदि शामिल हैं।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश (56,011) में दर्ज किए गए हैं। यूपी के बाद महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए। आंकड़े के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 30,992, मध्य प्रदेश में 29,778, राजस्थान में 25,993 और असम में 23,082 महिलाओं पर हुए अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं।

एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक, 2017 में देश में गंभीर अपराध के 50 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। इस तरह 2016 में 48 लाख दर्ज एफआईआर की तुलना में 2017 में 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। बता दें कि करीब एक साल की देरी के बाद 2017 के लिए वार्षिक अपराध का आंकड़ा जारी किया गया है।

साल 2017 में हत्या के मामलों में 5.9 प्रतिशत की गिरावट आई। रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में हत्या के 28653 मामले दर्ज किए गए जबकि 2016 में 30450 मामले सामने आए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हत्या के अधिकतर मामले में विवाद (7898) एक बड़ा कारण था। इसके बाद ‘निजी रंजिश’ या ‘दुश्मनी’ (4660) और ‘फायदे’ (2103) के लिए भी हत्या के मामले सामने आए हैं। साल 2017 में अपहरण के मामलों में नौ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज कुल मामलों में सबसे ज्यादा मामले (33.2 फीसदी) पति या उसके परिवार द्वारा हिंसा से संबंधित हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के 27.3 फीसदी मामले नारी की मर्यादा को ठेस पहुंचाने से संबंधित हैं। 21 फीसदी मामले महिलाओं के अपहरण और 10.3 फीसदी रेप से संबंधित हैं।