IMF ने भी घटाया भारत की विकास दर का अनुमान

नई दिल्ली: विश्व बैंक के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने भी चालू वर्ष के दौरान भारत की विकास दर का अनुमान घटा दिया है। उसने भारत की विकास दर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है जबकि पिछले अप्रैल में 7.3 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था। इसके साथ ही सबसे तेज प्रमुख अर्थव्यवस्था होने का उसका तमगा भी छिन सकता है क्योंकि चीन की भी विकास दर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है। इस साल चीन के मुकाबले भारत की आर्थिक विकास दर में ज्यादा गिरावट आने का अनुमान है।

आइएमएफ ने इस तरह भारत का विकास दर अनुमान अप्रैल के मुकाबले 1.2 फीसदी घटा दिया है। जुलाई में उसने इस साल के विकास दर अनुमान 0.3 फीसदी घटाया था। विश्व बैंक ने रविवार को अपने साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस के ताजा संस्करण में कहा था कि भारत की विकास दर इस साल घटकर 6 फीसदी रह सकती है। उसके अनुसार पिछले साल विकास दर 6.9 फीसदी रही थी।

आइएमएफ ने अपने ताजा वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा कि पिछले साल 2018 में भारत की विकास दर 6.8 फीसदी रही थी। इस साल यह रफ्तार 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि अगले साल यानी 2020 में विकास दर सुधरकर 7 फीसदी होने का अनुमान है। आइएमएफ ने कहा कि अप्रैल 2019 के अनुमान के मुकाबले भारत की विकास दर इस साल 1.2 फीसदी और अगले साल 0.5 फीसदी धीमी रह सकती है। इससे घरेलू मांग उम्मीद से कहीं ज्यादा कमजोर होने का पता चलता है।

आइएमएफ ने सरकारी उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति में उदारता, कॉरपोरेट टैक्स में कमी और कॉरपोरेट और पर्यावरण नियमन संबंधी अनिश्चितता दूर करने के ताजा उपायों से विकास दर को समर्थन मिलेगा और अगले साल रफ्तार सुधरेगी। ग्रामीण खपत सुधारने के लिए सरकारी कार्यक्रमों से भी अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा।

आइएमएफ के अनुसार चीन की आर्थिक विकास दर पिछले साल 6.6 फीसदी रही थी। इस साल यह घटकर 6.1 फीसदी रहने की संभावना है। अगले साल उसकी विकास दर और घटकर 5.8 फीसदी रह जाएगी। इस तरह चालू वर्ष में भारत और चीन की विकास दर बराबर रह सकती है। सबसे तेज प्रमुख अर्थव्यवस्था का तमगा भी भारत से छिन सकता है।

आइएमएफ और वर्ल्ड बैंक की सालाना बैठक से पहले जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार भारत की विकास दर दूसरी तिमाही में और घट गई। कुछ क्षेत्रों जैसे ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट में सुस्ती से रफ्तार पर असर पड़ा। गैर बैंकिंग क्षेत्र (एनबीएफसी) क्षेत्र की स्थिति को लेकर अनिश्चितता से भी विकास दर पर असर पड़ा।

आइएमएफ के अनुसार भारत कॉरपोरेट और पर्यावरण नियमन की अनिश्चितता के अलावा एनबीएफसी सेक्टर की अनिश्चितता से इस साल विकास दर सुस्त पड़ी। चक्रीय कमजोरी दूर करने और भरोसा मजबूत करने के लिए मौद्रिक नीति और बड़े आर्थिक सुधारों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मध्यम अवधि के दौरान बढ़ते सार्वजनिक कर्ज को नियंत्रित करने के लिए मजबूत वित्तीय अनुशासन की जरूरत है।