नई दिल्ली: 2017 के पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले में 6 संदिग्धों को बरी किए जाने के बाद गठित की गई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने 84 पन्नों की अपनी जांच रिपोर्ट राजस्थान के पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र सिंह को सौंपी है। एसआईटी ने मामले को लेकर पुलिस जांच को खामियों से भरा हुआ और घटिया बताया।

एसआईटी ने गुरूवार (5 सितंबर) को अपनी रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक को सौंपी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट को शीघ्र मुख्यमंत्री के समक्ष पेश किया जायेगा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामले की फिर से जांच कराने के निर्देश दिये थे। इसके अलावा, मामले के सभी छह बालिग आरोपियों को बरी करने के अलवर की एक अदालत के पिछले माह के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने के साथ-साथ मामले पर निगरानी रखने का निर्णय लिया था।

एसआईटी का गठन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध) की निगरानी में किया गया था। खान हरियाणा का रहने वाला था। उल्लेखनीय है कि अलवर की जिला अदालत ने 14 अगस्त को पहलू खान भीड़ हत्या मामले में सभी छह बालिग आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। घटना में संलिप्त तीन नाबालिग आरोपियों का मामला किशोर न्याय बोर्ड के पास है।

हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहलू खान प्रकरण में न्यायालय के निर्णय को लेकर उच्च अधिकारियों के साथ विस्तार से समीक्षा की थी और इस प्रकरण के घटनाक्रम और अनुसंधान में रही त्रुटियों पर विस्तार से चर्चा की।

एसआईटी ने पुलिस महानिदेशक से सिफारिश की है कि घटिया जांच करने वाले अधिकारियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई की जाए। भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि पुलिस महकमा सभी सिफारिशों की पड़ताल करेगा।

बीते 17 अगस्त को इस मामले में एसआईटी का गठन तब किया गया था जब डेयरी कारोबारी पहलू खान की हत्या के आरोपियों को पर्याप्त सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। 55 वर्षीय पहलू खान की हत्या 1 अप्रैल 2017 में की गई थी।

एसआईटी ने चार जांच अधिकारियों में से हर एक के द्वारा बरती गई खामियों को इंगित किया है। एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले जांच अधिकारी ने मौका-ए-वारदात का मुआयना पहलू खान की हत्या के तीन दिन बाद किया था, फॉरेंसिक टीम को नहीं बुलाया गया था और उन दोनों वाहनों का यात्रिक परीक्षण नहीं कराया गया था जिनमें गायों को ले जाया जा रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारी ने कुल 29 गलतियां की हैं।

एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरे जांच अधिकारी ने घटिया जांच को नजरअंदाज कर दिया और वह उसका पर्यवेक्षण करने में विफल रहे।

एसआईटी ने बताया कि तीसरा जांच अधिकारी अपराध वाली जगह पर गया तो था लेकिन चश्मदीदों के बयान दर्ज नहीं किए। पहले अधिकाक

एसआईटी ने कहा कि तीसरे जांच अधिकारी ने उससे पहले जांच करने वाले अधिकारियों की गलतियों को सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया।

एसआईटी के मुताबिक, चौथे जांच अधिकारी ने उन छह लोगों के नामों को क्लियर कर दिया था जिनके बाके में उसने बयान दिए।