लखनऊ: क्रिकेट हित संघर्ष मोर्चा के संयुक्त सचिव अंशुल शर्मा ने बताया कि संघ के संविधान के विपरीत वार्षिक बैठक न कराने तथा कार्यकारिणी के चुनाव समय से न कराये जाने पर सी.ए.एल. के विरूद्ध उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की गयी है। इस सम्बन्ध में अंशुल शर्मा ने आगे बताया कि विगत 2 वर्षों से लगभग 44 क्लबों द्वारा वार्षिक बैठक तथा चुनाव कराने हेतु दिये गये ज्ञापनों को संज्ञान में नहीं लिया गया। सी.ए.एल. के सचिव के.एम. खान अनाधिकृत रूप से सचिव की कुर्सी पर काबिज है। विभिन्न क्लबों द्वारा चुनाव न कराने तथा अन्य गम्भीर अनैतिक कार्य करने तथा वित्तीय हानि करने की जंाच कराने के लिए मुख्यमंत्री/डी.जी.पी./जिलाधिकारी/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा सी.ए.एल. के अध्यक्ष डा. नवनीत सहगल को भी पत्र दिये गये हैं। संघ की कार्यकारिणी में 14 जुलाई, 2019 को वार्षिक बैठक कराने का निर्णय लिया गया था। सचिव द्वारा अपनी कुर्सी बचाने तथा पद का दुरूपयोग कर उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में पद हासिल करने के लिए वार्षिक बैठक नहीं बुलाई गयी। सचिव के.एम. खान अपने आपको संघ के अध्यक्ष तथा कार्यकारिणी से ऊपर मानते हैं। उन्होंने बैठक रद्द करने का प्रस्ताव भी कार्यकारिणी में पास नहीं कराया गया।

शहर के अधिकांश क्लबों की सहमति से उच्च न्यायालय में क्लबों तथा खिलाड़ियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सी.ए.एल. का चुनाव कराने का आदेश पारित कराने का अनुरोध किया गया। शहर के क्लब खेल गतिविधियों में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न करना नहीं चाहते हैं। क्लबों का कहना है कि जब संघ के संविधान में स्पष्ट है कि हर वर्ष वार्षिक आम सभा तथा तीसरे वर्ष चुनाव होगा – तो कुर्सी हथिया कर रखने के उद्देश्य से के.एम. खान बैठक एवं चुनाव नहीं कराते हैं।

अंशुल शर्मा ने आगे बताया कि इस रिट याचिका का मुख्य उद्द्वेश्य लखनऊ शहर में सुनियोजित तरीके से क्रिकेट खेल का विकास हो सके। उन्होंने सभी क्लबों से भी इस लड़ाई में साथ देने की अपील की है।