मोहर्रम कैसे मना पाएंगे 1 लाख शिया मुसलमान, शीर्ष धर्मगुरु तो हैं हिरासत में

जम्मू और कश्मीर में इस बार मुहर्रम मनाए जाने पर संदेह के बाद मंडरा रहे हैं। सूबे के मुसलमानों को लग रहा है कि केंद्र सरकार की तरफ से लागू राजनीतिक बंदिश और संचार व्यवस्था पर लगी रोक मुहर्रम के जुलूस पर भारी पड़ सकती है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर में मुहर्रम को लेकर शिया मुसलमानों के डर की वजह शिया एसोसिएशन के प्रमुख इमरान रजा अंसारी की गैरमौजदूगी भी है। शिया समुदाय के लोगों का कहना है कि वे लोग मुहर्रम को लेकर फैसला किए जाने के संबंध में अंसारी से संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन इसमें उन लोगों को सफलता नहीं मिल रही है।

खबर के अनुसार शिया समुदाय का मानना है कि राज्य में लगी बंदिशें और संचार व्यवस्था बंद किए जाने से मुहर्रम के 10वें दिन निकलने वाले जुलूस पर रोक लगाई जा सकती है या इसे काफी हद तक सीमित किया जा सकता है। मालूम हो कि सरकार की तरफ से 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्ज वापिस लिए जाने और इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की घोषणा के एक दिन पहले से ही मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं।

घाटी में शिया मुसलमानों की आबादी करीब एक लाख है। बताया जा रहा है कि प्रशासन की तरफ से अंसारी को विभिन्न राजनीतिक दलों के 40 नेताओं के साथ सेंटूर होटल में हिरासत में रखा गया है। शिया समुदाय के लोगों का कहना है कि हमारा अंसारी से मिलना बहुत जरूरी है। उनके मिले बिना हम इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं।

बडगाम जिले से आए एक समूह के एक सदस्य ने कहा कि बंदिशों के कारण हमारी सभी धार्मिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं, यहां तक कि शादियां भी नहीं हो पा रही हैं। समूह के एक अन्य सदस्य ने कहा कि अंसारी हमारे पीर हैं लेकिन प्रशासन हमें उनसे मिलने की अनुमति नहीं दे रहा है। पहली बार ऐसा लग रहा है कि घाटी में इस बार मुहर्रम का जुलूस नहीं निकलेगा।

हालांकि, श्रीनगर के उपायुक्त शाहिद चौधरी ने जुलूस निकाले जाने को स्थगित किए जाने की बात को पूरी तरह से खारिज किया। चौधरी ने कहा कि शनिवार को विभिन्न शिया समूहों ने नेताओं ने मुहर्रम के जुलूस को लेकर बैठक की है। चौधरी का कहना है कि हम पूरी व्यवस्था सुनिश्चत करने के पूरा प्रयास कर रहे हैं।