नई दिल्ली : ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के 41 कारखानों के करीब 80,000 कर्मचारी मंगलवार से हड़ताल पर चले गए हैं। वे ओएफबी के कॉरपोरेटाइजेशन का विरोध कर रहे हैं। यह वर्तमान में भारत सरकार के अधीन है और इसे पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेच में बदलने का प्रस्ताव है। कर्मचारी कॉरपोरेटाइजेशन नहीं चाहते हैं। मजदूरों के चार यूनियनों का कहना है कि उनसे इस मसले पर सलाह नहीं ली गई है।

ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का महत्त्व: वे तोपखाने, टैंक बंदूकें, राइफल, कार्बाइन, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर, सभी प्रकार के गोला-बारूद का निर्माण करते हैं। ओएफबी टी -90 टैंक, अर्जुन टैंक, टी -72, बख्तरबंद कर्मियों के वाहक, नाइट विजन डिवाइस, वर्दी, पुल, नाव, विभिन्न प्रकार के पैराशूट, ट्रक और खदान संरक्षित वाहन बनाता है।

हड़ताल का प्रभाव: इससे सेवाओं में पहले से ही अड़चन आ गई है। ओएफबी अधिकारियों को नितांत आवश्यक वस्तुओं की एक सूची भेजी गई है जिन्होंने हड़ताल के बावजूद देने का वादा किया है। यह वादा कितना विश्वसनीय है, देखना होगा। विशेष रूप से अगर हड़ताल लंबे समय तक जारी रहती है तो।

कॉर्पोटाइजेशन का उद्देश्य: यह आडिया ऑपरेशनल फ्लैजिबिलिटी सुधारने और स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए है। निगम प्रशासन को गुणवत्ता में सुधार करना चाहिए, लागत कम करनी चाहिए, इनोवेशन सुनिश्चित करना चाहिए, प्राइवेट सेक्टर के साथ संयुक्त उपक्रम की अनुमति देनी चाहिए और नई तकनीकें प्रदान करनी चाहिए।

हड़ताल की पृष्ठभूमि: यूनियनों का कहना है कि उनसे सलाह नहीं ली गई। लेकिन समितियों की सिफारिशें, जिनमें विजय केलकर और वाइस एडमिरल (रिटायर) रमन पुरी शामिल हैं, उन्होंने कॉरपोरेटाइजेशन की बात कही है। रक्षा मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार सरकार हालांकि इन कारखानों के निजीकरण पर कोई विचार नहीं कर रही है। विज्ञप्ति के अनुसार, ओएफबी अध्यक्ष एवं आयुध कारखाना महानिदेशक, सौरभ कुमार ने दोहराया कि सरकार की ओर से इन कारखानों के निजीकरण की योजना नहीं है।

ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की 41 फैक्ट्रियों के असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले मान्यता प्राप्त तीन संघों ने भी आज (20 अगस्त) से एक महीने की हड़ताल पर चले गए हैं।