इस्लामाबाद : कश्मीर मुद्दे पर हर तरफ मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान अपना अड़ियल रवैया छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। कश्मीर मसले पर वह दुनिया के सामने अपनी किरकिरी एक बार फिर कराने का मन बना चुका है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि वह कश्मीर मुद्दे को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में उठाएंगे। हालांकि अदालत तब तक कार्रवाई नहीं कर सकती जब तक भारत सहमत नहीं हो जाता। कश्मीर मामले को पाकिस्तान जोर-शोर के साथ उठाने की कोशिश कर रहा है लेकिन चीन को छोड़कर दुनिया का कोई भी देश उसके साथ खड़ा नहीं हुआ है। यहां तक कि मुस्लिम देशों से भी उसे निराशा हाथ लगी है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुरैशी ने एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा, 'हमने कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने का फैसला किया है। आईसीजे में जाने का फैसला सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद लिया गया है।' बता दें कि भारत सरकार ने गत पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त कर दिया जिसके बाद पाकिस्तान सरकार बौखला गई है और वह दुनिया के देशों के साथ एवं अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर मसले को उठाने की असफल कोशिश कर रही है।

कश्मीर पर दुनिया भर में दुष्प्रचार करने के लिए पाकिस्तान ने अपनी झूठ की मशीनरी सक्रिय कर दी और दुनिया के देशों से मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई भी देश उसके समर्थन में आगे नहीं आया। कश्मीर मुद्दे पर खुद अलग-थलग पड़ता देख पाकिस्तान अपने 'सदाबहार मित्र' चीन के पास गया और उससे इस मसले को संयुक्त राष्ट्र में उठाने की गुहार लगाई। चीन की कोशिश के बाद संयुक्त राष्ट्र 'बंद दरवाजे की बैठक' के लिए राजी हुआ। गत 16 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मसले पर 'बंद दरवाजे बैठक हुई।' इस बैठक में चीन और पाकिस्तान दोनों की 'कुटिल चाल' कामयाब नहीं हो पाई। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थाई और 10 अस्थाई सदस्यों ने हिस्सा लिया लेकिन इस बैठक के बाद कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं हुआ।

बैठक से निराश चीन ने यह कहते हुए कि कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने चिंता जताई, अपनी इस राय को उसने यूएन का बयान बनाने की कोशिश की लेकिन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने चीन और पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया। अकबरूद्दीन ने साफ किया कि यूएन के सदस्य देशों की ऐसी कोई राय नहीं है और कुछ देश अपनी राय को यूएन का बयान बताने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय प्रतिनिधि ने इस दौरान पाकिस्तान के पत्रकारों के सवाल भी दिए और कश्मीर पर भारत सरकार के आधिकारिक रुख को एक बार फिर स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, 'कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला पूरी तरह से भारत का आंतरिक मसला है और पाकिस्तान के साथ बातचीत आतंकवाद पर रोक लगने के बाद शिमला समझौते के तहत होगी।'