नई दिल्ली: मॉनसून की बारिश के बाद भारत ने अपने बांधों में भर चुके पानी को छोड़ दिया है जिसके कारण पाकिस्तान में कई जगहों पर बाढ़ आने का ख़तरा बढ़ चुका है. यह बाढ़ की स्थिति गिलगित, बाल्टिस्तान और पंजाब की सतलुज और रावी जैसी नदियों में पानी बढ़ने के कारण पैदा हुई है. बाढ़ के मद्देनज़र नेशनल डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) ने पंजाब और गिलगित-बाल्टिस्तान में अलर्ट जारी किया है.

पानी का असर पाकिस्तान में आने वाली नदी में दिखना शुरू हो चुका है और अब तक 27 हज़ार क्यूसेक पानी पाकिस्तान के सीमाई इलाक़े गंडा सिंह में दाख़िल हो चुका है. पानी के स्तर में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है और ऐसा माना जा रहा है कि 20 और 21 अगस्त की आधी रात को भारी मात्रा में पानी यहां से गुज़रेगा जो एक लाख क्यूसेक से डेढ़ लाख क्यूसेक हो सकता है.

पाकिस्तान ने कहा कि भारत की ओर से लद्दाख बांध के तीन दरवाज़े खोले गए हैं जिनका पानी सिंधु नदी में शामिल होगा. उनका कहना था कि सिंधु नदी के पानी के स्तर में अभी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. अगर सिंधु नदी में पानी के स्तर में बढ़ोतरी होती है तो पाकिस्तान के पास तरबेला बांध और चश्मा बैराज में इस पानी को जमा करने की सुविधा मौजूद है. हाँ सतलुज नदी में भारतीय पंजाब से आने वाले पानी की वजह से बाढ़ का ख़तरा है और पाकिस्तान पंजाब के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने क़सूर और आसपास के ज़िला प्रशासन को तैयार रहने के लिए कहा है. ज़िला प्रशासन नदी के किनारे रहने वाले लोगों को वहां से हटाने का प्रबंध कर रहा है.

ग़ौरतलब है कि सिंधु जल समझौते के तहत हर साल मॉनसून सीज़न से पहले दोनों भारत -पाकिस्तान आपस में बातचीत कर लेते हैं जिसमें अलर्ट जारी करने पर भी जानकारी साझा की जाती है. लेकिन इस साल दोनों देशों में तनाव के बाद भारत ने किसी भी तरह की जानकारियां साझा नहीं की और पानी छोड़ने से पहले अलर्ट जारी नहीं किया.

पाकिस्तान का कहना है कि सिंधु जल आयोग ने गृह मंत्रालय के ज़रिए इस मुद्दे को भारतीय अधिकारियों के सामने उठाया है जिस पर अभी तक भारत ने कोई जवाब नहीं दिया है. बीते कई सालों से सतलुज नदी में पानी नहीं आया तो इस पानी से इस इलाक़े की ज़मीन पर अच्छा असर पड़ेगा और भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ेगा. ये मुश्किल के साथ-साथ एक लाभ भी लेकर आई है.