लोकभवन में हुआ राज्यपाल राम नाईक का नागरिक अभिनन्दन

लखनऊ: राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि वे राज्यपाल पद से जरूर रिटायर हो रहे हैं, लेकिन राजनीति से रिटायर नहीं होंगे। मुंबई जाकर भाजपा की सदस्यता लेकर पार्टी के लिए सक्रिय होकर काम करेंगे। लेकिन चुनाव नहीं लड़ेंगे।

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित सम्मान कार्यक्रम के लिये धन्यवाद देते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश के लोगों से बहुत जुड़ाव है। पांच वर्षों में प्रदेशवासियों विशेषकर पत्रकार मित्रों से जो स्नेह और सहयोग मिला उसके लिये कृतज्ञ हूँ। उत्तर प्रदेश को याद रखूंगा। उन्होंने बराबर आते रहने का वादा करते हुये कहा कि जो प्यार मिला है उसका ऋणी रहूंगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस, कुष्ठ पीड़ितों के लिये किये गये कार्य, डाॅ0 आंबेडकर का सही नाम लिखे जाने व अन्य विषयों पर सरकार द्वारा संवेदनशीलता से उनकी सलाह मानने पर आभार भी प्रकट किया।

श्री नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश आगमन पर राज्यपाल के रूप में उन्होंने कहा था कि राजभवन के दरवाजे सभी के लिये खुले रहेंगे। महामहिम की जगह माननीय शब्द का प्रयोग किया जाये तथा उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना चाहते हैं। अब तक उन्होंने राजभवन में 30,000 लोगों से ज्यादा भेंट की तथा 1,866 कार्यक्रम किये। 68 वर्ष के बाद उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस उनकी सलाह पर मनाया गया। जब-जब यह दिन मनाया जायेगा उत्तर प्रदेश की जनता उन्हें जरूर याद करेगी। उन्होंने नई राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल को शुभकामनाएं देते हुये कहा वे एक अनुभवी मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल का दायित्व संभाल चुकी हैं और निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में सफल होंगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में पदों पर आना और जाना एक प्रक्रिया है। राज्यपाल राम नाईक के पांच वर्ष का कार्यकाल सुखद अनुभूति देने वाला है। राज्यपाल ने राजभवन को लोकभवन में बदला। उन्होंने न केवल लीक से हटकर नई परम्परा की शुरूआत की बल्कि छोटी-छोटी बातों से भी व्यापक बदलाव लाने का प्रयास किया। अपनी कार्यप्रणाली को कार्यवृत्त के माध्यम से सार्वजनिक करके पारदर्शिता का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि बीते सवा दो साल में राजभवन से अच्छा संवाद रहा तथा हर मुद्दे पर चर्चा होती रही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल 30,000 हजार नागरिकों से राजभवन में प्रत्यक्ष मुलाकात कर चुके हैं। अगर जनप्रतिनिधि ऐसे लोगों से संवाद करें तो बहुत काम हो सकता है। राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ हर अधिकारी को उपलब्ध होनी चाहिए जिससे वे प्रेरणा ले सकें। राज्यपाल ने जो मानक और मूल्य तय किये, वह आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करते हैं। 86 वर्ष की उम्र में भी वे किसी युवा से ज्यादा सक्रिय रहे। विश्वविद्यालयों का सत्र नियमित करना बड़ी उपलब्धि है। कुष्ठ पीड़ितों को मानदेय के साथ आवास योजना उनकी सलाह का नतीजा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अब तक 56 बार राज्यपाल से राजभवन में मिले हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का यशस्वी कार्यकाल बधाई का पात्र है।

विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि विदाई का पल सभी को भावुक करता है। ऐसे अवसर पर शब्द और सामथ्र्य दोनों साथ नहीं देते। राज्यपाल श्री नाईक के आने से वास्तव में राज्यपाल का मतलब समझ में आया। श्री नाईक के व्यक्तित्व में शिवाजी जैसा पौरूष है, तिलक जैसा विवेचन है तथा पं0 दीनदयाल जैसा दर्शन है। उन्होंने कहा कि उनका बंधन अत्यंत गाढ़ा है जिसको शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।

उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राज्यपाल प्रदेश के लिये अभिभावक के रूप में रहे हैं। राज्यपाल की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि इस उम्र में उनकी सक्रियता युवाओं के लिये आदर्श है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा।
पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिज़वी ने कहा कि मुख्यमंत्री अभिनन्दन के योग्य हैं कि उन्होंने राज्यपाल के सम्मान में अभिनन्दन समारोह का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि उनके राजनैतिक जीवन में गत 45 वर्षों में उत्तर प्रदेश में ऐसा कभी नहीं हुआ। श्री नाईक राज्यपाल बनकर आये थे और उत्तर प्रदेश में हृदयपाल हो गये। उन्होंने कहा कि कार्यक्षमता देखते हुये राज्यपाल और मुख्यमंत्री में कई समानताएं हैं।

मौलाना खालिद रशीद फरंगीमहली ने कहा कि वे एक इंसान दोस्त को विदाई देने आये हैं जिसने उत्तर प्रदेश के लोगों के दिलों पर हुकुमत की है। राज्यपाल का धन्यवाद करते हुये उन्होंने कहा कि वे हर वर्ष ईद के मौके पर बधाई देने ईदगाह आते रहे हैं। उनके सौहार्द के पैगाम से बहुत कुछ सीखने को मिला है।
कार्यक्रम में श्री स्वतंत्र देव सिंह ने भी अपने विचार रखे। समारोह का संचालन नगर विकास मंत्री श्री सुरेश खन्ना ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल के जीवन पर आधारित एक संक्षिप्त वृत्तचित्र भी दिखाया गया।