नई दिल्ली: विदेशी निवेशकों ने इस महीने भारतीय इक्विटीज से करीब 7,712 करोड़ रुपए निकाल लिए हैं। आर्थिक जानकारों का मानना है कि इसकी वजह हालिया केन्द्रीय बजट में लागू किया गया ‘सुपर रिच टैक्स’ हो सकता है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में सरकार ने 5 करोड़ से अधिक की सालाना आय वाले लोगों पर सरचार्ज की दर बढ़कर 42% से ज्यादा कर दी है। सरकार को उम्मीद है कि इस सरचार्ज से सरकार को 12 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिल सकता है। हालांकि इस सुपर रिच टैक्स को लेकर आशंका जतायी गई थी कि इससे निवेशक भारत की बजाय किसी अन्य देश का रुख कर सकते हैं।
अब ताजा रिपोर्ट उन्हीं आशंकाओं की ओर इशारा कर रही हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, फॉरेन इन्वेस्टर्स (विदेशी निवेशक) ने 1 जुलाई से 19 जुलाई के बीच इक्विटीज से करीब 7,712 करोड़ रुपए निकाल लिए हैं। हालांकि इस दौरान निवेशकों ने इक्विटीज के ऋण विभाग में 9,371 करोड़ रुपए लगाए हैं, जो कि कैपिटल मार्केट में निवेश के हिसाब से करीब 1,659 करोड़ रुपए बैठते हैं।
खबर के अनुसार, निवेशकों द्वारा इतनी बड़ी संख्या में राशि बाजार से निकालने पर मॉर्निंग स्टार के वरिष्ठ विशलेषक मैनेजर हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि विदेशी निवेशक सरकार द्वारा सुपर रिच टैक्स लगाए जाने के बाद से ही इक्विटीज से अपना पैसा निकाल रहे हैं। हालांकि सरकार द्वारा लगाए गए सुपर रिच टैक्स के अलावा कई अन्य कारण भी हैं, जिनके चलते विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं।
हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, धीमी विकास दर, कमजोर मानसून और एशियाई विकास बैंक द्वारा भारत की विकास दर के कम रहने के अनुमान के चलते भी भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों का रुझान कुछ कम नजर आ रहा है। हिमांशु मौजूदा समय को विदेशी निवेशकों के लिए इक्विटीज में निवेश के लिए सही नहीं मानते हैं। इसके अलावा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव को भी इक्विटीज में विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने को भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
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