नई दिल्ली: पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार अपनी दूसरी पारी खेल रही है। लेकिन, अभी तक बाजार इस पारी को लेकर कोई उत्साह नहीं है। अभी तक मोदी सरकार (Modi 2.0) ने अपने दूसरे कार्यकाल के 50 दिन पूरे कर लिए हैं, लेकिन इस दौरान निवेशकों में खासी नाउम्मीदी दिखाई दी है। इन 50 दिनों में शेयर बाजार में निवेशकों के 12 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं। BSE का मार्केट वैल्यू 11.70 लाख करोड़ या कहें 7.5 फीसदी धराशाई हुआ है। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 30 मई से अपनी दूसरी पारी का आगाज किया था।

इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक 10 में से 9 स्टॉक मार्केट बीएसई के तहत व्यापार करते हैं और यह ख़तरे के दायरे में हैं। 60 फीसदी से अधिक स्टॉक्स में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि, इनमें से एक तिहाई (903) में 20 फीसदी की गिरावट है। हालांकि, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि यह फिज्कल प्रूडेंस (Fiscal Prudence यानी खर्च पर लगाम कसे रहना) से हटकर नहीं है। बजट के कुछ प्रावधानों जैसे ऊचे इनकम टैक्स वाले स्लैब में अधिभार (Surcharge) और सूचीबद्ध कंपनियों के न्यूनतम पब्लिक फ्लोट (Public Float) को 35 प्रतिशत से 25 प्रतिशत करने से भी बाजार में भागीदार लोगों के बीच नकारात्मकता देखी गई है। इसके अलावा उस अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ी मुसीबत है जिसकी ग्रोथ सुस्त है और उसके पास 2024 तक 3 ट्रिलयन डॉलर से 5 ट्रिलयन डॉलर की इकॉनमी बनने की चुनौती हो।

इकोनॉमिक्स टाइम्स ने अर्थिक मामलों के जानकार और सार्थी ग्रुप के पार्टनर एवं CIO कुंज बसल के हवाले से बताया है कि जब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स को 2018 में लागू किया गया था, तब भी बाजार ने 10-12 महीने तक सही ढंग से प्रदर्शन नहीं किया था। उन्होंने अख़बार को दिए साक्षात्कार में कहा है, “टैक्स बाजार के मूल्यांकन पर काफी असर डालता है। यदि हम अतिरिक्त कर लागू होने के बाद बाजार से 30 फीसदी रिटर्न की उम्मीद करते हैं तो हमें 25 से 26 फीसदी ही हाथ लग पाता है। इन सभी चीजों को देखते हुए मुझे बाजार का मूल्यांकन कम करने आंकना होगा।”