नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा दो अहम पदों पर की जाने वाली नियुक्तियों पर सबकी नजर लगी हुई है.यह महत्वपूर्ण पद हैं देश के खुफिया ब्यूरो के मुखिया और कैबिनेट सचिव के. इन दोनों ही अति अहम पदों पर नियुक्त अधिकारी आम चुनाव होने के पूर्व से ही सेवा विस्तार के तहत कार्य संभाल रहे हैं. राजीव जैन (आई बी निदेशक) और पी के सिन्हा (कैबिनेट सचिव) को इस परंपरा के तहत सेवा विस्तार दिया गया था कि चुन कर आने वाली नई सरकार अपनी पसंद के अधिकारियों की नियुक्ति इन पदों पर करेगी. चूंकि यह पद निश्चित कालावधि वाले पद है,अत: इन्हें नियत समय के लिए सेवा विस्तार दिया गया.

यह माना जा रहा था कि इन दोनों ही महत्वपूर्ण पदों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोबारा पद भार संभालते ही अपनी पसंद के अनुरूप नियुक्ति करेंगे. लेकिन केन्द्रीय गृह सचिव राजीव गौबा पदोन्नत हो कर कैबिनेट सचिव का पद संभालने वाले ही थे कि मोदी सरकार ने सबको हैरत में डालते हुए सिन्हा का कार्यकाल तीन और महीने के लिए बढ़ा दिया. सरकार ने इसके लिए 40 साल पुराने नियम में भी परिवर्तन कर दिया. इसके साथ ही गौबा को लेकर अनश्चिततता की स्थिति बन गई .

1982 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी गौबा 30 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं जबकि सिन्हा का कार्यकाल 12 सितंबर को समाप्त हो रहा है. नौकरशाहों के बीच माना जा रहा है कि गौबा को लेकर बनी स्थितियों के बीच एक और प्रतिभाशाली अधिकारी अरुणा सुंदरराजन की असीम संभावनाएं जगा दी हैं . सुश्री सुंदरराजन इस समय दूरसंचार सचिव एवं दूरसंचार आयोग की चेयरमैन हैं .

1982 बैच की केरल कैडर की यहआईएएस अधिकारी देश की वरिष्ठतम अधिकारियों में हैं . इसी तरह की अनिश्चतता देश की सबसे बड़ी एवं अहम खुफिया एजेंसी आईबी के मुखिया के पद को लेकर बनी हुई है. यहां भी राजीव कुमार तीन माह के सेवा विस्तार पर चल रहे हैं. उनका सेवा विस्तार छह माह का हो चुका है. इनके सेवा विस्तार ने दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार और राजीव जैन की संभावनाओं पर विपरीत असर डाला.

सूत्रों के अनुसार इस पद के लिए डीजी रैंक के अधिकारी राकेश अस्थाना का नाम आगे चल रहा है. वह गृह मंत्री अमित शाह के भी करीबी माने जाते हैं . आईबी में अपनी आमद के बाद से ही वह उन्हे सीधे रिपोर्ट कर रहे थे. गृह मंत्री ही उनका नाम आगे बढ़ा रहे हैं.