नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार पहले ही कार्यकाल से मुद्रा योजना को लेकर अपनी पीठ थपथपाती रही है। लेकिन, इस योजना के संदर्भ में जो बातें सामने आ रही हैं, वह देश की अर्थव्यवस्था के लिए कतई सेहतमंद नहीं है। ‘द वायर’ ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिले दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया है कि बीते एक साल के भीतर देश का नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) दो गुना हो चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था को यह झटका पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ (PMMY) के चलते लगा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने 12 फरवरी को राज्यसभा में दिए एक लिखित बयान में बताया कि 31 मार्च, 2018 तक मुद्रा योजना के चलते पब्लिक सेक्टर के बैंको का एनपीए 7,277.31 करोड़ रुपये है। द वायर को मिली आरटीआई में स्पष्ट किया गया है कि मार्च 31, 2019 तक पब्लिक सेक्टर के बैंकों पर मुद्रा योजना के चलते एनपीए 16,481.45 करोड़ रुपये है। यानी की यह आंकड़ा एक तरह से दो गुने से भी ज्यादा है। पिछले साल के मुकाबले बैंकों का एनपीए 9,204.14 करोड़ रुपये अधिक बढ़ गया।

मुद्रा स्कीम के तहत 30.57 लाख बैंक खातों को NPA घोषित कर दिया गया है। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च, 2018 तक एनपीए अकाउंट्स की संख्या 17.99 लाख थी। मात्र एक साल के भीतर एनपीए वाले अकाउंट्स की संख्या में 12.58 लाख की बढ़ोतरी हो गई। IANS ने 13 जनवरी को एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें बताया था कि भारतीय रजर्व बैंक (RBI) ने मुद्रा योजना के चलते पैदा हो रही NPA की समस्या को लेकर वित्त मंत्रालय को आगाह भी किया था।