नई दिल्ली: देश आठ पूर्व सैन्य प्रमुखों ने राष्ट्रपति (तीनों सेनाओं का सुप्रीम कमांडर) को चिट्ठी लिखकर सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को रोकने का आग्रह किया है। सैन्य प्रमुख ने कहा है कि राष्ट्रपति सभी राजनीतिक दलों को किसी भी मिलिट्री एक्शन या ऑपरेशन का राजनीतिकरण नहीं करने के लिए निर्देश दें। पूर्व सेनाध्यक्षों की यह अपील गुरुवार को पहले चरण के मतदान के घंटों बाद सार्वजनिक हो गई। द टेलिग्राफ के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में कहा गया है, “महोदय, राजनेता सीमा पार कार्रवाइयों जैसे मिलिट्री ऑपरेशंस का क्रेडिट ले रहे हैं और इससे भी दो कदम आगे जाते हुए देश की सेना को ‘मोदी जी की सेना’ करार दे रहे हैं, यह बिल्कुल ही असामान्य और अस्वीकार्य है।”

हालांकि, पत्र में किसी भी खास राजनीतिक दल या नेता का नाम नहीं लिया गया है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के प्रचार (Lok Sabha Election 2019) के दौरान कई जगहों पर सेना की कार्वाइयों का राजनीतिक इस्तेमाल होता देखा गया। आलम यह रहा कि खुद चुनाव आयोग को दखल देना पड़ा और सेना से जुड़े पोस्टरों तथा बैनरों के इस्तेमाल पर रोक लगानी पड़ी। मंगलवार (9 अप्रैल) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं से बालाकोट एयर-स्ट्राइक और पुलावामा के शहीदों को समर्पित करने का आह्वान किया था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने चुनावी भाषण में सुरक्षाबलों को ‘मोदी जी की सेना’ कहकर संबोधित किया था।

राष्ट्रपति को पत्र लिखने वालों में सेना की जानी-मानी हस्तियां हैं। इनमें जनरल एसएफ रॉड्रिग्ज, जनरल शंकर रॉय चौधरी, जनरल दीपक कपूर, एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास, एडमिरल विष्णु भागवत, एडमिरल अरुण प्रकाश, एडमिरल सुरेश मेहता और चीफ मार्शल एनसी सूरी जैसे मिलिट्री वेटरन शामिल हैं। इन पूर्व सैन्य प्रमुखों ने एक स्वर में राष्ट्रपति से देश की सेना के सेक्युलर मूल्यों को सुरक्षित रखने का आग्रह किया है।