नई दिल्ली: बीएसपी मुखिया मायावती ने पार्कों में हाथियों और अपनी लगी मूर्ति के बारे में सुप्रीम कोर्ट को जवाब दिया है। उन्होंने हलफनामें में ये बताया है कि किस वजह से उन्होंने पार्कों में मूर्तियां लगवाईं थीं। मायावती ने मूर्तियों को लगाने में आए खर्च को न्यायसंगत ठहराया है। उन्होंने कहा कि ये सबकुछ जनता की इच्छा थी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मूर्तियों को लगाने में जो खर्च आया था उसका भुगतान मायावती खुद करें। अदालत ने अपने आदेश में लिखा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पार्कों में जो मूर्तियां लगवाई गईं उसके जरिए सरकारी खजाने का इस्तेमाल किया गया। टैक्स पेयर्स के पैसों का नाजायज इस्तेमाल किया गया।

मायावती ने कहा कि बीएसपी के संस्थापक और दलित समाज के लिए प्रेरणास्रोत रहे कांशी राम जी की इच्छा थी कि समाज के बड़े वर्ग की भावना का इजहार होना चाहिए। वो एक चूनी हुई सरकार की अगुवा थीं और प्रदेश के लोगों का मत था कि दलित समाज को मुख्य धारा में शामिल करने के लिए इस तरह के कदम को उठाने का जरूरत है। उन्होंने जो फैसला किया था वो कानूनन गलत नहीं था।