अयोध्या विवाद पर बोले- अमन की खातिर मुसलमानों को समझौता कर लेना चाहिए

नई दिल्ली: मौलाना सलमान नदवी जिन्होंने श्री श्री रविशंकर के साथ अयोध्या विवाद में समझौते की कोशिश शुरू की थी उन्होंने कहा है कि इस्लामी शरीयत मस्जिद शिफ्ट करने की इजाज़त देती है और राम भी हमारे लिये एक पैगंबर हैं. इसलिये अमन की खातिर मस्जिद के लिये दूसरी जगह बड़ी ज़मीन लेकर समझौता कर लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस्लामी शरियत में मस्जिद को शिफ्ट करने की इजाजत है. इसके लिए उनका दावा था कि खलीफा हजरत उमर ने कूफा शहर में एक मस्जिद को शिफ्ट करके उसकी जगह पर खजूर का बाजार बनवा दिया था. इसका मतलब है कि मस्जिद को शिफ्ट करना जायज है. अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्‍यस्‍थता के लिए तीन सदस्‍यों की समिति बनाए जाने के फैसले पर मौलाना नदवी ने कहा कि मुकदमा लड़ने से किसी की हार होती है तो किसी जीत उसमें जो जीतता है वह खुद को विजयी मानता है लेकिन जो हराता है वह बेइज्जत महसूस करता है. लेकिन समझौते से इंसानियत को बढ़ावा मिलता है.

नदवी ने कहा, 'जहां तक रामचंद्र जी की शख्यित का ताल्कुक है, वह बहुत बड़े रिफॉर्मर थे और मुसलमान मानते हैं कि दुनिया में एक लाख 24 हजार पैगंबर हुए हैं. वह (राम) भी अपने वक्त के पैगबंर थे. उनका ऐहतराम करते हुए विवादित स्थल को मंदिर बनाने के लिए दे देना चाहिए और मस्जिद के लिए कोई दूसरी बड़ी जगह लेकर वहां मस्जिद बना ली जाए औऱ साथ में एक विश्वविद्यालय भी'.

आपको बता दें कि मौलना सलमान नदवी दारुल उलूम नदवतुल उलेमा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं. इस विश्वविद्यालय को नाना अली मियां ने बनाया था और वह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पहले अध्यक्ष थे. मौलाना सलमान नदवी भी बोर्ड के सदस्य थे लेकिन जब इन्होंने श्री श्री रविशंकर के साथ मिलकर अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए मुहिम चलाई तो बोर्ड ने उनके रुख का विरोध करते हुए निकाल दिया था. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाने का आदेश दिया है. इस समिति की अध्यक्षता जस्टिस कलीफुल्ला करेंगे और उनके साथ श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू भी हैं. समिति को 4 हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपनी है और मध्यस्थता के लिए बातचीत फैजाबाद में होगी. इस कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी.