नई दिल्ली: आम चुनाव से पहले देश में बेरोजगारी का मुद्दा छाया हुआ है। आंकड़ों, बयानों और दावों के साथ दिन-ब-दिन यह गर्माता ही जा रहा है। इसी बीच, उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी का ऐसा आलम देखने को मिला, जो किसी को भी हैरान कर सकता है। बीते दिनों पुलिस विभाग में टेलीफोन मैसेंजर के लिए कुल 62 पदों पर भर्तियां निकाली गई थीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन रिक्तियों के लिए तकरीबन एक लाख लोगों ने आवेदन किया, जिनमें लगभग 3700 पीएचडी धारक हैं।

जुलाई 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने इन पदों पर आवेदन मांगे थे। टेलीफोन मैसेंजर का काम पुलिस विभाग के दस्तावेजों, चिट्ठियों और फाइलों को एक पुलिस थाने से दूसरे तक पहुंचाने का होता है। यह काम उसे साइकिल के जरिए करना पड़ता है। आवेदक को इस नौकरी के लिए पांचवीं पास होना जरूरी है। साथ ही उसे साइकिल चलाना भी आना चाहिए।

भर्ती को लेकर आए आवेदनों से सेलेक्शन बोर्ड भी हैरान रह गया था। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया कि 62 पदों के लिए जिन एक लाख लोगों ने आवेदन किया, उनमें 50 हजार स्तानक, 28 हजार स्नातकोत्तर और 3,700 पीएचडी धारक हैं। यूपी में बेरोजगारी से जुड़ा यह आलम ऐसे वक्त पर देखने को मिला है, जब बेरोजगारी को लेकर देश में हो-हल्ला हो रहा है।

इससे पहले, पिछले हफ्ते बेरोजगारी को लेकर आंकड़े सामने आए थे, जिनके आधार पर दावा किया गया था कि देश में 45 सालों में साल 2017-18 में सबसे अधिक बेरोजगारी रही। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार ने इन आंकड़ों का सिरे से खंडन किया था।

उल्टा, पीएम ने गुरुवार (सात फरवरी, 2019) को कहा था, “हमारे कार्यकाल में करोड़ों नौकरियां पैदा की गईं।” मगर देश के विभिन्न हिस्सों से सामने आ रहे जमीनी हालात कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। कुछ समय पहले कैंटीन वेटर के पद के लिए सात हजार आवेदन आ गए थे, जिनमें अधिकतर ग्रैजुएट थे।