नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का कहना है कि राम मंदिर 'विश्वास' का, जबकि सबरीमला 'प्रथा' का मामला है और दोनों को मिलाना नहीं चाहिए। उनकी यह टिप्पणी 'अनडॉटेड: सेविंग द आइडिया ऑफ इंडिया' किताब के विमोचन के दौरान आई। यह किताब पिछले साल प्रकाशित हुए उनके आलेखों का संग्रह है जिसका विमोचन नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में हुआ।

पूर्व वित्त मंत्री ने सबरीमला और राम मंदिर के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, 'राम मंदिर प्रथा का मामला नहीं है। यह विश्वास का मामला है। यह भगवान राम की जन्मभूमि है। उस विश्वास के कारण, लोगों का एक समूह भूमि पर दावा कर रहा है। जबकि सबरीमला एक प्रथा है जो कि आधुनिक संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।'

सबरीमाला पर उन्होंने कहा, 'मैं बहुत धार्मिक व्यक्ति नहीं हूं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट को न्यायिक संकल्प के लिए उत्तरदायी नहीं होना चाहिए। मैं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार करता हूं, लेकिन मैं सामान्य पुरुषों, महिलाओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने विचार व्यक्त करने से कैसे रोक सकता हूं।'

वहीं राम जन्मभूमि मुद्दे पर अपने विचारों को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा, 'कई लोग कह रहे हैं कि कई सौ साल पहले एक मस्जिद मौजूद थी। सवाल यह है कि क्या सर्वोच्च न्यायालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान करेगा। हम रिवाज और विश्वास के मुद्दे को मिला नहीं सकते हैं।'

सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।