लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजबब्बर ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज प्रस्तुत वर्ष 2019-20 के बजट को पूरी तरीके से निराशाजनक बताया। इस बजट में जो घोषणाएं की गयी हैं वह न तो नये रोजगार के क्षेत्र पैदा करने की सम्भावना जता रही हैं, न ही लागत बढ़ाने और भुगतान न होने से त्रस्त हमारे प्रदेश के किसानों के लिए कोई आशा की किरण है।

राजबब्बर ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए महज 10 करोड़ रूपये की व्यवस्था करना प्रदेश के बेरोजगार युवाओं का उपहास उडाने जैसा है, जबकि पिछले (2018-19) के बजट में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 3 साल में 20 लाख युवाओं को नौकरी एवं रोजगार देने की घोषणा की थी, जबकि चुनाव के समय घोषणा-पत्र में भाजपा ने 5 साल में 70 लाख रोजगार अर्थात 14 लाख प्रतिवर्ष और पिछले वर्ष हुई इन्वेस्टर्स सम्मिट में उ0प्र0 के मुख्यमंत्री श्री आजय सिंह विष्ट ने 10 लाख रोजगार देने की बात की तो इन सारी बातों में यह निकल कर आता है कि सरकार नौजवानों के लिए बिल्कुल भी गम्भीर नहीं है। सबसे बुनियादी आवश्यकता किसी समाज के लिए शिक्षा होती है इस सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा कहीं से दिखाई नहीं पड़ रही है क्यों कि सरकार ने जो बजट आवंटन किया है वह पिछले बजट के मुकाबले कम है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश का किसान जिसमें सबसे ज्यादा तादाद गन्ना किसानों की है सरकार की तमाम घोषणाओं के बावजूद अपने गन्ना मूल्य बकाये के भुगतान के लिए लाठियां खाने को मजबूर है, जबकि लागत लगातार बढ़ती जा रही है। चाहे सारे कृषि उपकरणों में 18 प्रतिशत जी0एस0टी0 जैसा भारी भरकम टेक्स हो या डी0ए0पी0, यूरिया, पोटास जैसे उर्वरक और कीटनाशक तथा बीज के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी। हमारा किसान बढ़ती लागत और अपने उत्पाद का उचित और समय से मूल्य न पाने के चलते पूरी तरीके से परेशान हाल है। यह बजट इस समस्या के निदान में कोई हल सुझाता नहीं दिखा रहा है। किसानों की एक सबसे बड़ी समस्या आज छुट्टा जानवर (अन्ना पशु) हैं, सरकार ने पिछले बजट में भी 200 करोड़ रूपये आवंटन किये जाने की व्यवस्था की थी, इस बजट में भी 200 करोड़ की ही घोषणा की गयी है, पर जमीनी हकीकत यह है कि पूरे प्रदेश की एक भी ग्राम पंचायत में इस समस्या के निजात की कोई व्यवस्था नहीं दिखाई पड़ रही है।

भाजपा ने चुनाव के समय अपने घोषणा-पत्र में जो वादे किये थे उनको पूरा करना तो दूर घोषणा-पत्र के 50 प्रतिशत से अधिक वादे बजट में भी शामिल नहीं कर पाये, चाहे वह लेपटाप वितरण के वादे की बात हो या अन्नपूर्णा योजना के तहत रू. 5/- में प्रत्येक व्यक्ति को भोजन जैसे तमाम दावे सिर्फ किताबी साबित हुए। दो बजट पेश हो जाने के बाद भी सरकार द्वारा इन पर अमल न करना यह दर्शाता है कि यह सिर्फ बातें और दावे करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत भिन्न है।

युवाओं और किसानों के अलावा इस सरकार में एक सबसे बड़ी समस्या महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था की रही है, 22 करोड़ की आबादी वाले इस प्रदेश में जिस प्राथमिकता के साथ सरकार को यह विषय लेना चाहिए था, बजट आवंटन में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है जैसे कि नये महिला थानों एवं महिला अत्याचारों को रोकने के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट की स्थापना, जो राशि आवंटित की गयी है वह बहुत नाकाफी है।

पिछले बजट में प्रदेश के 5 जनपदों में जिला चिकित्सालयों को अपग्रेड करके मेडिकल कालेज बनाने तथा 8 नये मेडिकल कालेजों की स्थापना की बात कही गयी थी और इसके लिए क्रमशः 500 करोड़ एवं 1751.47 करोड़ रूपये निर्धारित किये गये थे, किन्तु आज तक एक भी मेडिकल काॅलेज धरातल पर दिखाई नहीं दिया है, जबकि इस बजट में भी नये मेडिकल काॅलेजों की स्थापना का सब्जबाग दिखाया गया है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा की की एक बहुप्रचारित रामलीला मैदान की चहारदीवारी बनाने की बात कही गयी थी, आज सरकार ने इस मद में महज 5 करोड़ रूपये आवंटित किया गया है जो प्रति ग्राम पंचायत लगभग 306 रूपये पड़ता है, इस धनराशि से एक ईट भी नहीं रखी जा सकती है।

सरकार ने बन्द पड़ी चीनी मिलों को आरम्भ करने के लिए 25 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया है, जबकि एक भी चीनी मिल इतनी राशि से वर्तमान व्यवस्था में नहीं खोली जा सकती, जबकि प्रदेश में ऐसी बन्द पड़ी चीनी मिलों की संख्या 38 है। अच्छा होता सरकार हमारे किसानों के बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए कोई ठोस प्रयास करती दिखाई पड़ती।

यह सरकार अपनी बहु प्रचारित योजना आयुष्मान भारत योजना जिसके अन्तर्गत महज 111 करोड़ रूपये की व्यवस्था की गयी है, यदि इसमें केन्द्र का भाग्यांश भी जोड़ लिया जाये तो प्रतिमाह प्रति जनपद महज 5 लोगों का इलाज सम्भव हो पायेगा, जो कि इस विशाल प्रदेश की जनता के लिए छलावा मात्र ही है।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार यह पूरा बजट सब्जबाग तो दिखाता है पर जमीनी धरातल पर समाज के किसी वर्ग को, चाहे हमारा बेरोजगार युवा हो, आंगनबाड़ी, शिक्षामित्र, रसोइया जैसी महिला कार्यकत्री हो या कृषि क्षेत्र के हमारे किसान भाई हो, स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशानहाल आम नागरिक हों, सुरक्षा की चाह लिये हमारी बहन-बेटियां या समाज के व्यापारी वर्ग हों या कर्मचारी किसी भी वर्ग के लिए इस बजट में कुछ दिखाई नहीं पड़ता।