नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केरल के सबरीमला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की तो उसमें नया मोड़ आ गया। दरअसल, सबरीमला मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया।

कोर्ट ने जब उसके रूख में बदलाव का जिक्र किया तो बोर्ड के वकील ने कहा कि अब उसने फैसले का सम्मान करने का निर्णय किया है। बोर्ड की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा, 'संविधान का अनुच्छेद 25(1) सभी नागरिकों को अपने धर्म को मानने का समान अधिकार देता है।'

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट से सबरीमला मंदिर में प्रवेश कर चुकीं दो महिलाओं ने यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि 12 फरवरी को अगली बार मंदिर खुलने पर उन्हें फिर से प्रवेश करने दिया जाए।

गौरतलब है कि 28 सितंबर को तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला देते हुए सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का रास्ता साफ कर दिया था। हालांकि मंदिर खुलने के बाद महिलाओं के प्रवेश को लेकर लगातार प्रदर्शन होता रहा। विरोध-प्रदर्शन के बीच मंदिर में दर्शन करने के लिए 10 से 50 वर्ष की प्रतिबंधित आयुवर्ग में शामिल कनकदुर्गा और बिंदु अम्मिनी ने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश किया था।