बोरा इंस्टीट्यूट में “Post Partum Death & Posthumous Birth; A Challenge or Apathy of Health System” विषय पर सेमिनार आयोजित
लखनऊ: ‘‘प्रसूतिकाल में मृत्यु एवं मरणोपरान्त जन्म’’ स्वास्थ्यतंत्र के लिये एक बहुत बडी चुनौती है। जिसे सही जानकारी एवं लोगों को जागरूक कर कम किया जा सकता है। उक्त बातें सोमवार को बृज की रसोई सभागार में बोरा इंस्टीट्यूट आॅफ एलाइड हेल्थ साइंसेज द्वारा “Post Partum Death & Posthumous Birth; A Challenge or Apathy of Health System” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहीं। कार्यक्रम सह आयोजक इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च, नई दिल्ली रही।

कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती वन्दना एवं दीप प्रज्जवलन के साथ हुयी। वक्ताओं ने प्रसूति काल की पूर्ण जानकारी, रक्त प्रवाह, थायराइड की समस्या एवं प्रसूतिकाल में स्तनपान की समस्याओं पर चर्चा की।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित केजीएमयू के यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डा. विनोद जैन ने कहा कि प्रसूतिकाल में मृत्यु एवं मरणोपरान्त जन्म स्वास्थ्य तंत्र के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। डा. जैन ने बताया कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आज भी लोगों को सही जानकारी के अभाव में विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी संख्या शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक है। डा. जैन ने बताया कि लोगों को जानकारी देना एवं जागरूक करना ही सबसे बडी चुनौती है। डा. जैन ने कहा कि हमें चुनौती को दो तरह से स्वीकार करना होगा। किसी काम को हम कर सकेंगे या फिर नहीं। डा. जैन ने कहा हमें सभी कामों को राष्ट्र सेवा से जोड़कर करना होगा।

इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य रूप से काॅलेज निदेशक बिन्दू बोरा, प्राचार्य डा. नीता कपूरिया, प्रशासनिक अधिकारी सुधांशू मिश्रा, उपप्राचार्य अनीस मोहन, बोरा इंस्टीट्यूट आफ एलाइड हेल्थ साइंसेज की एसोसिएट प्रोफेसर अर्जिता सेंगर, एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर भूमिका सिंह, केजीएमयू की एसोसिएट प्रोफेसर रीना राज, सहायक प्रोफेसर ऐमन फातिमा एवं भारी संख्या में नर्सिंग कालेज के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।