नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार लोकसभा चुनावों से पहले कई लोक-लुभावन घोषणाओं के ऐलान का मन बना रही है। लेकिन, दूसरी ओर राजकोषीय घाटा भी उसके परेशानी का कारण बना हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी के साढ़े 4 साल के कार्यकाल में भारत सरकार पर 49 फीसदी का कर्ज बढ़ा है। शुक्रवार को केंद्र सरकार के कर्ज पर स्टेटस रिपोर्ट का आठवां संस्करण जारी किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक बीते साढ़े चार सालों में सरकार पर कर्ज 49 फीसदी बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो जून, 2014 में सरकार पर कुल कर्ज 54,90,763 करोड़ रुपये था, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 82,03,253 करोड़ रुपये हो गया।

कर्ज में बढ़ोतरी की वजह पब्लिक डेट में 51.7 फीसदी की बढ़ोतरी है, जो बीते साढ़े चार सालों में 48 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। मोदी सरकार के कार्यकाल में मार्केट लोन भी 47.5 फीसदी बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। जून 2014 के आखिर तक गोल्ड बॉन्ड के जरिए कोई डेट नहीं रहा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार सालाना स्टेटस रिपोर्ट के जरिए केंद्र पर कर्ज के आंकड़ों को पेश करती है। यह प्रक्रिया 2010-11 से जारी है।

स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है,” केंद्र सरकार की पूरी देनदारी मिडियम टर्म में गिरावट की ओर बढ़ रही है। सरकार अपने राजकोषीय घाटे को खतम करने के लिए मार्केट-लिंक्ड बारोइंग्स की मदद ले रही है।” रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का डेट प्रोफाइल सस्टेनेबिलिटी पैरामीटर्स के आधार पर ठीक है और सुधार का क्रम जारी है।