लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सीबीआइ जांच में पूर्ववर्ती सपा सरकार के दौरान अवैध खनन के जरिए भ्रष्टाचार की परतें अब खुलने लगी हैं। शनिवार को सीबीआइ ने जिस तरह से सपा सरकार के दौरान प्रमुख पदों पर तैनात आइएएस अधिकारी समेत खनन विभाग के कर्मचारियों, ठेकेदारों के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई से पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की कार्यप्रणाली भी कठघरे में आ गई है।

पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि श्री अखिलेश यादव को खुद के ऊपर उठ रहे सवालों का जवाब देना चाहिए। आखिर उन्होंने अपने कार्यकाल में अधिकारियों, नेताओं को अवैध खनन की छूट क्यों दे रखी थी?

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि श्री यादव को आभास है कि उनके कार्यकाल के दौरान यूपी में भ्रष्टाचार के मामले भाजपा सरकार में जरूर खुलेंगे क्योंकि यह सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है। भ्रष्टाचार के मसले पर सीधे तौर पर खुद को घिरता देख श्री अखिलेश यादव बसपा से बेमेल गठबंधन करने को बेताब हो गए। श्री यादव ने अपने पांच साल के कार्यकाल में शायद ही कोई कार्यक्रम या आयोजन रहा हो जिसमें उन्होंने बसपा के शासनकाल में फैले भ्रष्टाचार का जिक्र न किया हो।

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि इस तरह से सपा और बसपा का गठबंधन भाजपा सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के खिलाफ भ्रष्टाचारियों का गठबंधन है। प्रदेश की सम्मानित जनता ने सपा और बसपा के भ्रष्ट शासन से आजिज आकर भाजपा को सत्ता सौंपी है। ये दोनों पार्टियां लाख गठबंधन कर लें जनता की नजर में ये भ्रष्ट पार्टियां ही रहेंगी। लोकसभा चुनाव में जनता एक बार फिर भ्रष्टाचार के संरक्षकों के नापाक गठबंधन को सबक सिखाएगी।