नई दिल्ली: भारत के किसानों को कर्ज नहीं मार रहा है और किसानों से दोगुना गृहणियां आत्महत्या कर रही हैं। यह कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य शमिका रवि का। दरअसल, शमिका रवि ने ब्लूमबर्गक्विंट डॉट कॉम पर एक विश्लेषणात्मक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने आंकड़ों के हवाले से ये बातें कही हैं। ‘डेब्ट इजन्ट किलिंग इंडियाज फार्मर्स’ (किसानों को कर्ज नहीं मार रहा है) नामक शीर्षक लेख में शमिका रवि ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का हवाला देते हुए लिखा है कि हाल के वर्ष में किसानों की आत्महत्या दर में वास्तव में कमी आई है। उन्होंने लिखा है कि पहले के वर्षों के मुकाबले 2016 में दर्ज की गई किसानों की आत्महत्या की दर सबसे कम रही। लेख में कहा है कि जिस प्रकार किसान आत्महत्या करते हैं, उनके मुकाबले ऐसा करने वाली भारतीय गृहणियों की संख्या लगभग दोगुना है। लेख में कह भी कहा गया है कि किसानों की आत्महत्या और गरीबी के बीच भी कोई संबंध नहीं मिलता है।

लेख में बताया गया है आत्महत्या के कारण मृत्यु दर गरीब राज्यों बिहार और उत्तर प्रदेश के मुकाबले अमीर राज्यों महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में ज्यादा है। शमिका रवि ने यह भी लिखा है कि यह सही है कि बैंकों और महाजनों से कर्ज लेने वालों में गरीब किसान आगे हैं लेकिन वे अपने आप को खत्म नहीं कर रहे हैं। लेखिका ने नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के विवरण के हवाले से लिखा है कि महाराष्ट्र में करीब 90 फीसदी आत्महत्या करने वाले किसान ऐसे थे जिनके पास 2 एकड़ से ज्यादा जमीन थी। वहीं, 10 में 6 किसान ऐसे थे जिनके पास 4 एकड़ से ज्यादा जमीन थी। लेख में यह भी बताया गया है कि बहुत से लोगों को इस बात एहसास ही नहीं है कि भारतीय किसान अच्छा काम कर रहे हैं।

लेख के मुताबिक किसान भारत के फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स सेक्टर में 45 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं। पिछले तीन वर्षों में शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों मे बिक्री दर में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जबकि खपत वृद्धि वर्तमान में 9.7 फीसदी की मजबूत स्थिति में है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पारिवारिक समस्याएं या बीमारी किसानों की आत्महत्याओं के ज्यादा आम कारण रहे हैं।