इस्लाम की सच्चाई से लोगों को सूचित करन हमारी ज़िम्मेदारी: मौलाना नुसरत अली

जमात-ए-इस्लामी हिन्द के सम्मेलन के दूसरे दिन कई बुध्द्धिजीविवों का सम्बोधन

कानपुर: यह संसार जिस वास्तविकता पर स्थापित है, इस वास्तविकता से दूर होना ही फसाद का एक कारण है, अल्लाह के निर्देशों की अनदेखी करने से मनुष्य अपनी प्रकृति से हट जाता है। यह बातें जमात-ए-इस्लामी हिन्द के महासचिव इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने कहीं। वे आज यहां जाज मऊ, उन्नाव में जमात ए इस्लामी यूपी पूर्व की ओर से होने वाले सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने इस मौके पर कहा कि इंसान जब अपने जीवन के लक्ष्यों से हटता है तो उसका जीवन नष्ट होने के कगार पर पहुंच जाता है, और अनैतिकता जन्म लेती हैं । मोo सलीम ने देश के हालात पर चर्चा करते हुए कहा कि इस समय माब लिंचिंग और भीड़ हिंसा आदि इस देश का एक बड़ा मुद्दा बनते जा रहे हैं, जो इस देश के वर्तमान और भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं, क्योंकि यह एक ऐसा देश है जिस में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित है, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि यह देश बहुत तेजी के साथ फासीवाद और तानाशाह की ओर बढ़ रहा है, देश में लोकतांत्रिक मूल्य समाप्त होते जा रहे हैं। कानून प्रभावित हो रहा है, जबकि कानून इस देश की आत्मा है लेकिन लोग अब खुद फैसले कर रहे हैं, जिसका परिणाम है कि माब लिंचिंग आम बात हो गई है।

इस अवसर पर जमात ए इस्लामी के नायब अमीर ए जमात मौलाना नुसरत अली ने कहा कि जमात ए इस्लामी का यही उद्देश्य है कि समाज में सांप्रदायिकता का खात्मा हो, हर तरफ शांति का माहौल हो, लोग एक दूसरे का आदर करें। इसके लिए जमात ए इस्लामी ने कई काम किए हैं। मौलाना ने कहा कि अगर हमारे पास सत्य मौजूद है तो हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे जनता तक पहुंचाएं, दुनिया के हर कोने में इस संदेश को आम करें, देशवासियों तक मीडिया, सोशल मीडिया और साहित्य के माध्ध्यम से उन तक इस्लाम का सही संदेश पहुंचाना हमारी ज़िम्मेदारी है।

मौलाना नुसरत अली ने संबोधित करते हुए कहा कि दूसरों को नीचा समझना या हिकारत की नजर से देखना, इस बात का किसी को भी अधिकार नहीं पहुंचा है, क्योंकि खुद अल्लाह ने इंसान को आदर दिया है. मौलाना ने कहा कि हमें इस्लाम को समझने की कोशिश करना चाहिए।

इससे पहले विश्व शांति और इस्लाम के विषय पर बोलते हुए टी आरिफ अली (नायब अमीर ए जमात ए इस्लामी) ने कहा कि विश्व शांति और इस्लाम इस समय पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है। और आज कल इस पर निरंतर बहस चल रही है । पूरी दुनिया में इस छवि को फैलाया गया है कि जब तक इस्लाम ज़िंदा रहेगा तब तक इस दुनिया में शांति और न्याय नहीं होगा, जबकि इस्लाम एक ऐसा मज़हब है जिसमें हमारी हर समस्या का निवारण है, इस्लाम का इस दुनिया में शांति स्थापित करने का उद्देश्य है। इस्लाम की शिक्षाओं का आधा हिस्सा हमें इस दुनिया में एकता, शांति और समानता बनाए रखने के लिए कहती हैं।
इससे पहले एस आई ओ के सैयद अबुल आला सुबहानी ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि जमात ए इस्लामी हिन्द के गठन के बाद यह महसूस किया गया कि एक राष्ट्रीय छात्र संगठन भी बनाया जाना चाहिए। जिसके बाद भारत के में एस आई ओ की स्थापना हुई।

नया भारत और सामाजिक न्याय के विषय पर बोलते हुए वेलफेयर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि देश की भविष्य की योजना के सिलसिले में हमें स्थायी काम करने की जरूरत है। देश के लोगों की समस्याएं उनके स्वंय के किए हुये कर्मों का फल हैं। इस का समाधान यह है कि मनुष्य अपने बनाने वाले की तरफ बढ़े है और लोगों को भी इस तरफ बुलाने का काम करता रहे।

कासिम रसूल इलियास ने कहा कि देश में, कानून का सम्मान खत्म हो रहा है, जिस की लाठी उसकी भैंस वाला मामला देश में देखा जा रहा है। पहले तो फसाद होते थे लेकिन अब टार्गेट हमले हो रहे हैं, खुले आम लोगों की हत्या हो रही है, फोटोग्राफी और वीडियो ग्राफी की जा रही है और इसे सोशल मीडिया पर डाला जा रहा है और यह कहने की कोशिश की जा रही है कि हम ने ये अपराध किया है।

उनहों ने कहा कि हर साल फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के गोदाम से लाखों टन अनाज फेंक दिया जाता है और कहा जाता है कि अनाज खराब हो गए हैं, जबकि देश के दूसरी तरफ हजारों लोग भूख के कारण मर रहे हैं। हमारे देश के बजट का केवल 1.3 प्रतिशत चिकित्सा और स्वास्थ्य पर खर्च किया जा रहा है, लाखों लोग बड़े पैमाने पर मर रहे हैं अस्पतालों में इलाज करने के लिए पैसा नहीं है। हमारे देश के शैक्षिक क्षेत्र को भी दो हिस्सों में बांटा गया है, जो लोग गरीब हैं वे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे, और जो पैसे वाले हैं वे प्राइवेट स्कूल और आई आई एम में पढ़ेंगे।