पटना: लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के बीच सीट शेयरिंग का मामला सुलझ गया है. शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की. अमित शाह ने इस मुलाकात के बाद बताया कि बिहार में जेडीयू और बीजेपी ने आगामी 2109 के लोकसभा चुनाव बराबर सीटों पर लड़ने का फैसला किया है. सीटों को दो-तीन दिनों में ऐलान किया जाएगा, जबकि गठबंधन की बाकी सीटें लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) साझा करेंगे.

शाह ने कहा कि तीन-चार दिन से बिहार के लोकसभा के लिए सभी साथियों से चर्चा चल रही थी. नीतीश कुमार के साथ विस्तार से चर्चा के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जेडीयू और बीजेपी एक साथ मिलकर बराबर सीटों पर लड़ेगी. बाकी जितने भी सहयोगी दल है उन्हें भी सम्मान जनक सीटें मिलेंगी. दो-तीन दिनों में नंबर की घोषणा की जाएगी और इस दौरान उपेंद्र कुशवाहा और रामविलास पासवान भी साथ होंगे.

बता दें कि जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) ये तीनों एनडीए के सहयोगी हैं. लेकिन इन घटक दलों में सीटों को लेकर रस्साकशी चल रही है. माना जा रहा है कि नीतीश और शाह के बीच मुलाकात के दौरान बिहार में सीट बंटवारे की संभावनाओं पर मंथन होगा. बिहार में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में खींचतान है. राम विलास पासवान की एलजेपी सात सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं है. इन सबके बीच उपेन्द्र कुशवाहा की आरएलएसपी भी झुकने के मूड में नहीं है.

बीजेपी-जेडीयू के बीच सीटों को लेकर हुए समझौते को जेडीयू की राजनीतिक विजय के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि 2014 में बीजेपी ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से 22 पर उसे जीत मिली थी. वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार आरजेडी और कांग्रेस से अलग होने के बाद सीटों को लेकर अधिक सौदेबाजी की स्थिति में नहीं थे.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दोनों पार्टियों को बराबर सीटों पर लड़ने के लिए सहमत करने का श्रेय चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को जाता है, जो पिछले ही महीने जेडीयू में शामिल हुए थे और जो पर्दे के पीछे बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत में शामिल रहे.