काॅनफेडरेशन आॅफ इण्डियन इंडस्ट्री एवं सोसाइटी आॅफ इण्डियन आॅओमोबाइल मैनुैचरर्स ने आज पटियाला के गांव जस्सो मजरा में एक विशेष कार्यक्रम ‘सुख दा साह’ का लाॅन्च किया। ‘सुख दा साह’ दोनों संगठनों की संयुक्त पहल है, फसलों का भूसा जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगना इसका मुख्य उद्देश्य है जिसके कारण आज देश में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता बहुत अधिक गिर गई है। सीआईआई और एसआईएएम की इस पहल के तहत तीन सहकारी समितियों- जस्सो मजरा, भोरे और मालेवड़ केे 1500 किसान एक मंच पर आए हैं और उन्हें 7000 एकड़ पर फैले खेतों में फसलों का भूसा नहीं जलाने की शपथ ली है।

यह परियोजना किसानों में जागरुकता बढ़ाने में मदद करेगी, उन्हें हैप्पी सीडर, मल्चर और फार्म की अन्य आधुनिक मशीनें तथा फील्ड माॅनिटरिंग की सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। उद्योग जगत के सदस्य जैसे क्युमिन्स, बिरलासाॅफ्ट और एसआईएएम के अन्य सदस्यों ने इस परियोजना के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की है। सीआईआई फाउन्डेशन एसआईएएम के सहयोग से बुनियादी गतिविधियों को अंजाम दे रही है।

इस मौके पर पटियाला के एडीसी श्री शौकत अहमत परे ने कहा ‘‘हरित क्रान्ति के दिनों में शुरूआत में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। किंतु अंत में हरित क्रान्ति फायदेमंद साबित हुई। जैसा कि हम सभी जानते हैं इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। आज पंजाब के किसानों को इसी तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। फसलों का भूसा जलाने और पानी की अनुपलब्धता जैसी समस्याओं को हल कर हम भविष्य के लिए स्थायी समाधान प्रस्तुत करेंगे।’’