सैमसंग इंडिया ने अपना एक डिजिटल कैम्पेन लॉन्च किया है, जिसमें कंपनी ने एक मज़बूत कहानी के ज़रिए अपने डिजिटल वॉयस असिस्‍टेंट-बिक्‍सबी की क्षमताओं को पेश किया है और जो दर्शकों को बेहद पसंद आई है। यह फि‍ल्‍म मोटर न्‍यूरॉन रोग (एमएनडी)/एएलएस से पीड़ित मरीज़ सोनल (नाम बदला गया) के जीवन से प्रेरित है, जिसने अपनी आवाज़ को अपनी बेटी के लिए बचाए जाने के लिए सैमसंग को एक पायलेट प्रोजेक्‍ट पर काम करने के लिए अपनी सहमति दी।

इस फि‍ल्‍म में दिखाया गया है कि एक मां जिसे मोटर न्‍यूरॉन रोग (एमएनडी)/एएलएस है, वह अपनी आवाज़ और चलने की क्षमता खो रही है, और कैसे सैमसंग अपनी एआई इनेबल्ड बिक्‍सबी टेक्‍नोलॉजी को कस्‍टमाइज़ कर उनकी आवाज़ को एक सैमसंग स्‍मार्टफोन में जिंदा रखने का काम कर रहा है ताकि उनके प्रियजन लगातार उनकी आवाज़ सुन सकें।

इस प्रोजेक्ट के लिए, सैमसंग रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, बेंगलुरु (एसआरआई-बी) ने एक कंपनी के साथ काम किया, जो कोर स्‍पीच टेक्‍नोलॉजी में एक्सपर्ट है। हमने एक अलग आवाज़ को रिकॉर्ड किया, और टीटीएस (टेक्‍स्‍ट टू स्‍पीच) टेक्‍नोलॉजी का उपयोग कर उस आवाज़ को एंड्रॉयड ओएस (सैमसंग स्‍मार्टफोन) पर कम्पैटेबिलिटी के लिए टेस्ट किया। टाइज़न ओएस (रेफ्रि‍जरेटर, टेलीविजन) पर परीक्षण अभी चल रहा है। इस दौरान ही आशा एक होप फाउंडेशन की खोज हुई, जो भारत में एमएनडी/एएलएस के लिए पहला रजिस्‍टर्ड एनजीओ है। यह गैर-लाभकारी संगठन मोटर न्‍यूरॉन रोग (एमएनडी) से पीड़ित लोगों और उनके परिवारों की मदद करता है। यह उनके जीवन में उम्‍मीद और सकारात्‍मकता को बढ़ावा देने का प्रयास करता है, जो उन्‍हें बीमारी से बाहर निकलने के लिए सशक्‍त बनाएगा।

सैमसंग इंडिया के चीफ मार्केटिंग ऑफि‍सर श्री रनजीवजीत सिंह ने कहा, ‘सैमसंग में हम इनोवेटिव टेक्नोलॉजी के साथ लोगों के जीवन में बदलाव लाने पर फोकस करते हैं। हमारा प्रयास अर्थपूर्ण इनोवेशन के ज़रिए उपभोक्‍तओं के वा‍स्‍तविक जीवन की समस्‍याओं को हल करना है। यह फि‍ल्‍म दिखाती है कि सैमसंग एमएनडी से पीड़ित एक मां की आवाज़ को परिरक्षित करने के लिए अपने एआई वॉयस असिस्‍टेंट, बिक्‍सबी का उपयोग करते हुए कैसे असंभव लगने वाले काम को संभव बना सकती है।’