लखनऊ: कांगे्रस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा है कि रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया की आज की गयी अधिकृृत घोषणा के अनुसार ‘‘नोटबन्दी’’ के समय देश में कुल 15 लाख 41 हजार करोड़, पांॅच सौ और एक हजार के नोट प्रचलन में थे, और लगभग 15 लाख 31 हजार करोड़ की अधिकृृत नोट बैंकों में नोटबन्दी के बाद जमा हुई, जो कुल प्रचलित मुद्रा का लगभग 99.03ः हुआ, यह बहुत चौंकाने वाले आंकड़े हैं । जबकि नये नोट की छपाई पर 12000 करोड़ (बारह हजार करोड़) रुपये, और इसके विज्ञापन तथा प्रचार प्रसार पर 10,000 करोड़ (दस हजार करोड़) रुपये खर्च हुये, जो बैंकों में न जमा होने वाली धनराशि से कहीं ज्यादा है । चंूूॅकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 08 नवम्बर, 2016 को सार्वजनिक रूप से टेलीविजन पर यह घोषणा की थी कि ‘‘नोटबन्दी से कालाधन बाहर आयेगा, और इससे आतंकवाद रुकेगा’’ । मोदी जी ने देश के लोगों को इसे एक क्रान्तिकारी कदम बताया था, और कहा था कि जो कई लाख करोड़ कालाधन है वह आम आदमी के काम आयेगा । इसके कुछ दिनों के बाद फिर उन्होंने कहा था कि मुझे मात्र 60 दिन दे दीजिये, मैं भारत की अर्थव्यवस्था से कालाधन वापस ले आऊंगा, देश वासी मेरे लिये इस कष्ट को सहन कर लें, उसके बाद सारा कालाधन, कालाबाजारियों से वापस आ जायेगा और देश खुश हाल हो जायेगा । वरना किसी भी चौ राहे पर जो चाहे सजा दे देना ।

श्री तिवारी ने कहा है कि देश के लोगों ने प्रधानमंत्री पर विश्वास किया । नोटबन्दी के कारण सैकड़ों लोग रात- रात भर जाकर लाइन में खड़े रहे, तमाम यातनायें सहीं, देश में कितने लोगों की लाइन में खड़े- खड़े मौत हो गयी, कितनी बेटियों की शादियांॅ नोटबन्दी के कारण नहीं हो सकी, तमाम लोग अस्पताल में इलाज न हो सकने के कारण मौत के मुूॅह में समा गये, कितने छात्र- छात्राओं की शि क्षा बाधित हुई, बहुत से छोटे उद्योग धंधे बन्द हो गये, बाजार में निराशा छायी रही, और आज 2 साल बाद यह बताया जा रहा है कि 00.07 प्रतिशत ही धन नहीं जमा हुआ है, अर्थात 1 % कम या तो कालाधन था, या फिर किन्हीं कारणों से जमा नहीं हो सका ।

श्री तिवारी ने कहा है कि देष में नोटबन्दी के कारण कई लाख लोगों की नौकरियांॅ चली गयीं, मजदूरों की मजदूरी छिन गयी, किसानों को उनकी उपज का मूल्य नहीं मिला, बाजार में मन्दी छायी रही, आतंकवाद ज्यों का त्यों बना हुआ है, देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूट गयी, एक डाॅलर के मुकाबले भारतीय रुपया 70.45 के ऊपर चला गया, देष के कई हिस्सों में पेट्रोल 85 रुपये से अधिक कीमत पर मिल रहा है, डीजल की कीमत रिकाॅर्ड ऊेॅचाई पर पहंुॅच गयी है, देश में बेरोजगारों की एक नयी फौज तैयार हो गयी है, और इस सबके लिये यदि कोई पूरी तरह से जिम्मेदार है तो वह हैं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गलत नोटबन्दी की नीति और उसका क्रियान्वयन ।

श्री तिवारी ने कहा है कि मोदी जी की सरकार में बैठे लोग, उनके पंूॅॅजीपति दोस्त, और बैंकों ने मिलकर लगभग तीन- चार लाख करोड़ रुपये का कालाधन सफेद कर लिया है । मोदी सरकार कालेधन को सफेद करने के लिये बिचैलियों का निमित्त बन गयी है । और अब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खामोश हैं ।

श्री तिवारी ने कहा है कि यदि कोई संवेदनशील सरकार होती, या फिर संवेदनशील लोकतन्त्र होता तो आज भारत देश की अर्थव्यवस्था की बर्बादी के लिये प्रधानमंत्री अपने पद से त्याग पत्र दे देता । लेकिन हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न तो संवेदनशील हैं और न ही वे लोकतनत्र में विश्वास ही करते हैं ।

श्री तिवारी ने कहा है कि प्रधानमन्त्री जी कम से कम यह तो करें कि नोटबन्दी की तरह मीडिया के सामने आयें, और देश से क्षमा याचना करें और यह स्वीकार करें कि नोटबन्दी की गलत नीति के कारण देश की अर्थव्यवस्था का भारी नुकसान हुआ है, देष की जनता को अपार कष्ट सहन करना पड़ा, बहुत दिनों तक कई घरों में ‘‘फाॅंका’’ हुआ, अस्पतालों में तमाम लोगों की दवा के अभाव में जान चली गयी, बेटियों की शादियांॅ रुक गयीं, बहुत से छात्र छात्राओं की पढ़ाई छूट गयी, इस सबके लिये प्रधानमंत्री जी को सार्वजनिक रूप से देष की जनता से क्षमा याचना करनी चाहिए ।