नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में 'इनमें से कोई नहीं (नोटा)' विकल्प की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने राज्यसभा चुनाव के बैलेट में नोटा के विकल्प की इजाजत देने वाली चुनाव आयोग की अधिसूचना को रद्द कर दिया. कोर्ट ने आयोग की अधिसूचना पर सवाल उठाया और कहा कि 'नोटा' सीधे चुनाव में सामान्य वोटर्स के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है.

यह फैसला शैलेष मनुभाई परमार की याचिका पर आया है. पिछले राज्यसभा चुनाव में वह गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य व्हिप (सचेतक) थे, जिसमें पार्टी ने सांसद अहमद पटेल को उतारा था. परमार ने मतपत्रों में नोटा के विकल्प की इजाजत देने वाली आयोग की अधिसूचना को चुनौती दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि नोटा की शुरूआत करके चुनाव आयोग मतदान नहीं करने को वैधता दे रहा है. गुजरात कांग्रेस के नेता ने कहा था कि राज्यसभा चुनाव में यदि नोटा के प्रावधान को मंजूरी दी जाती है तो इससे 'खरीद-फरोख्त और भ्रष्टाचार' को बढ़ावा मिलेगा.