नई दिल्ली: खराब मौसम वाली जगहों पर पेपर ट्रेल मशीनों की विफलता को रोकने के लिए कुछ उपाय किए गए हैं जिनमें कंट्रास्ट सेंसर के ऊपर एक छोटा सा ढक्कन लगाना और ऐसा पेपर रोल लगाना शामिल है जो नमी को नहीं सोखता. ये जानकारी मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने दी.

कैराना और भंडारा गोंदिया सहित चार लोकसभा सीटों एवं 10 विधानसभा सीटों पर हाल ही में हुए उपचुनावों में वीवीपीएटी मशीनों की व्यापक पैमाने पर विफलताओं के बाद चुनाव आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने 'मूल कारण विश्लेषण' को अंजाम दिया.

रावत ने बताया कि समिति ने पाया कि पेपर ट्रेल मशीन के कंट्रास्ट सेंसर पर पड़ने वाली सीधी रोशनी के कारण समस्या हुई. उन्होंने बताया कि समिति ने ये भी पाया कि कुछ पेपर रोल नमी को सोख लेते हैं जिसकी वजह से वीवीपीएटी मशीन में परिणाम को प्रिंट करते समय पेपर ठीक से नहीं घूम पाता.

उन्होंने बताया, 'हमने कुछ साधारण बदलाव किए हैं. कंट्रास्ट सेंसर के ऊपर एक छोटा सा ढक्कन लगाया गया है ताकि अगर इसे सीधी रौशनी में रखा जाता है तो इसमें खराबी नहीं आए. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसे गर्मी और नमी से समस्या नहीं है बल्कि पेपर ट्रेल मशीन के कलपुर्जे इलेक्ट्रो-मैकेनिकल हैं जो इसके कार्य को प्रभावित करते हैं.'

उन्होंने बताया कि इन मशीनों की निर्माता कंपनी ईसीआईएल ने सुझाव दिया है कि अधिक आद्रता वाली जगहों के लिए चुनाव आयोग को ऐसा पेपर खरीदना चाहिए जो नमी न सोखे.

सीईसी ने बताया, 'हमने नमी वाले स्थानों के लिए ऐसा पेपर खरीदा है जो आद्रता से बेअसर रहता है.'

वीवीपीएटी वो मशीन है जो मतदान करने के बाद पार्टी के चुनाव चिह्न वाली एक पर्ची दे कर बताती है कि व्यक्ति ने वोट किसे दिया है. मतदान करने के बाद ये पर्ची निकल आती है और केवल सात सेकंड के अंदर ही ये एक बक्से में गिर जाती है. मतदाता इसे अपने साथ नहीं ले जा सकते हैं.