नई दिल्ली: 2018 में राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) में शामिल होने वाले लाखों आवेदकों के फोन नंबर, ईमेल आईडी और पते ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इन सभी का डेटा लीक कर दिया गया है। यदि आपको ये डेटा चाहिए तो इसके लिए दो लाख रूपये खर्च होंगे। ऐसी वेबसाइटें जो पैसे के लिए पर्सनल डाटा देने की बात करते हैं, उन दोंनों के बीच की सीमा है, जो डेटा ब्रोकर भारत के डिजिटल विज्ञापन उद्योग के ग्रे मार्जिन पर काम करते हैं और आधिकारिक स्रोतों द्वारा डेटा लीक कर गोपनीयता पर हमला किया जाता है। द वायर के अनुसार, यदि अाप आॅफिशियल मेडिकल स्टूडेंट डाटा डॉट कॉम पर पर लॉग इन करते हैं तो यह यह अपने बिजनेस प्रस्ताव के साथ खुलता है। इसमें लिखा होता है कि भारत भर में कई सलाहकार हमारे उपर अपने डेटाबेस की जरूरतों के लिए भरोसा करते हैं। हमारे डेटाबेस की कीमतें ज्यादा होगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन इस वजह से सीमित ग्राहकों के पास ही हमारे डेटाबेस उपलब्ध रहते हैं और इससे ज्यादा लोगों से आप जुड़ पाएंगे।

वेबसाइट पर छात्रों की सभी जानकारियां जैसे नाम, उनका एनईईटी स्कोर, रैंकिंग, पूरा पता, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी सब उपलब्ध है। कोई भी व्यक्ति यहां भुगतान कर डेटा प्राप्त कर सकता है। वेबसाइट प्रत्येक आवेदक के मोबाइल नंबर के अंतिम तीन अंकों को “सुरक्षा कारणों” के लिए दिखाती है, लेकिन वास्तव में यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि संभावित विज्ञापनदाता, विपणक या ब्रोकर (जिन्हें डेटा की आवश्यकता है) भुगतान कर इसे प्राप्त कर सकते हैं। यह खरीदने वालों को सुनिश्चित करता है कि डेटा वास्तविक है या नहीं। वहीं, जब यहां से प्राप्त डेटा के आधार पर छात्रों और एनईईटी आवेदकों से बात की गई तो सभी ने अपने व्यक्तिगत जानकारी की पुष्टि की। इससे साबित होता है कि जो डेटा बेचा जा रहा है, वह सही है। खरीदारों संतुष्ट होने के बाद, डेटा ब्रोकर एक मूल्य प्रदान करता है। इसके तहत 2 लाख छात्रों के व्यक्तिगत डेटा के लिए 2.4 लाख रुपये। यूं कहें तो मात्र एक रूपये में यह एक व्यक्ति की निजी जानकारी उपलब्ध करवा देता है।

इस डेटा का स्रोत स्पष्ट नहीं है। हालांकि कई संभावित हैं। इनमें केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), जो परीक्षा का प्रभारी निकाय है, विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों या यहां तक ​​कि प्री स्कूलों का विशाल नेटवर्क भी है, जो छात्रों और उम्मीदवारों को यह बताता है कि एनईईटी को कैसे क्रैक करना है। कैसे इसमें सफलता मिलेगी। यह भी संभव हो सकता है कि जो डेटा ब्रोकर इस वेबसाइट को चलाते हैं, डेटा उपलब्ध करने के लिए प्रबंधन को मैनेज किया होगा। लेकिन यह भी सही है कि ब्राेकरों के पास 2018 की परीक्षा में शामिल होने वाले सभी अभ्यर्थियों के डेटा नहीं है। इस साल करीब 13 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, लेकिन इनके पास डेटा सिर्फ 2.4 लाख का ही है। बताया जाता है कि इस डेटा के खरीददार मेडिकल कॉलेज व बायोलॉजी से जुड़े संस्थान होते हैं। वे इन छात्रों व अभ्यर्थियों को फोन कर इन्हें अपने संस्थान में आने को आकर्षित करते हैं। लुभावने ऑफर देकर इन्हें अपने साथ जोड़ते हैं।