नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के लिए सीजेआई दीपक मिश्रा ने सोमवार को पांच जजों की एक बेंच बनाई है। यह याचिका कांग्रेस के दो सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। पांच जजों की बेंच में जस्टिस एके सिकरी, एनवी रमन, अरुण मिश्रा, एसए बोबड़े और एके गोयल शामिल हैं, जो इस याचिका की सुनवाई करेंगे। इस बेंच में सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जजों में से किसी को भी शामिल नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा वरिष्ठतम जज में जस्टिस जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लाकुर, कुर्रियन जोसेफ और खुद सीजेआई दीपक मिश्रा शामिल हैं।

बता दें, जस्टिस चेलमेश्वर, गोगोई, लाकुर और जोसेफ ने 12 जनवरी को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके सुप्रीम कोर्ट की मौजूदा कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। इन जजों ने सुप्रीम कोर्ट में केस अलॉट किए जाने की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए थे।

गौरतलब है कि राज्यसभा के सभापति ने यह कहते हुए दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के नोटिस को खारिज कर दिया था कि न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ किसी प्रकार के कदाचार की पुष्टि नहीं हुई है। सभापति की इस फैसले के खिलाफ ही विपक्ष के दो सांसदों ने सोमवार को न्यायालय में चुनौती दी है। महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति जे . चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस . के . कौल की पीठ से तत्काल सुनवाई के लिए यचिका को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।

पीठ ने मास्टर ऑफ रोस्टर के संबंध में संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए सिब्बल और अधिवक्ता प्रशांत भूषण से कहा कि वह तत्काल सुनवाई के लिए याचिका प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखें। यह याचिका दायर करने वाले सांसदों में पंजाब से कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह बाजवा और गुजरात से अमी हर्षदराय याज्ञनिक शामिल हैं।