नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के कठुआ रेप और मर्डर कांड का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के समूह ने कठुआ रेप और मर्डर केस में रुकावट पर चीफ जस्टिस से संज्ञान लेने की गुहार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट में समूह ने कहा कि वहां केस की सुनवाई नहीं हो पा रही है.

सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाते हुए वकीलों ने कहा कि कई घंटे तक चार्जशीट दाखिल नहीं होने दी गई. यहां तक कि महिला वकील को भी धमकी दी जा रही है. हालांकि, वकीलों के आग्रह पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास फिलहाल इस मामले पर कोई रिकॉर्ड नहीं है. आप रिकॉर्ड पर कुछ दाखिल कीजिए, फिर हम केस को देखेंगे.

बता दें कि कठुआ मामले के आरोपपत्र से इस बात का खुलासा हुआ था कि आठ वर्षीय बच्ची को एक मंदिर में नशीली दवा दे कर रखा गया था और उसकी हत्या से पहले दरिंदों ने फिर से उसे हवस का शिकार बनाया था. जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने यहां सोमवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 15 पृष्ठों का आरोपपत्र दाखिल किया. इसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि बकरवाल समुदाय की बच्ची का अपहरण , बलात्कार और हत्या इलाके से इस अल्पसंख्यक समुदाय को हटाने की एक सोची समझी साजिश का हिस्सा थी.

चार्जशीट में कठुआ स्थित रासना गांव में देवीस्थान , मंदिर के सेवादार को अपहरण , बलात्कार और हत्या के पीछे मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है. सांझी राम के साथ विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा , मित्र परवेश कुमार उर्फ मन्नू , राम का किशोर भतीजा और उसका बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ शम्मा कथित तौर पर शामिल हुए. आरोपपत्र में जांच अधिकारी ( आईओ ) हेड कांस्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्त भी नामजद हैं जिन्होंने राम से कथित तौर पर चार लाख रूपया लिए और अहम सबूत नष्ट किए.