लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज गांधी भवन में आयोजित अधिवक्ता जनसेवा संस्थान के 30वें स्थापना दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि किसी भी संस्था का स्थापना दिवस सिंहावलोकन का दिवस होता है। स्थापना दिवस पर अब तक क्या खोया, क्या पाया के साथ आगे बढ़ने का लक्ष्य भी निर्धारित करना चाहिए। इस दृष्टि से स्थापना दिवस अत्यन्त महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि गत 24 जनवरी को 68 वर्ष के बाद वर्तमान सरकार ने प्रथम बार ‘उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस’ का आयोजन किया। कार्यक्रम में महिला कल्याण एवं पर्यटन मंत्री डाॅ0 रीता बहुगुणा जोशी भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थी। इस अवसर पर संस्था की ओर से राज्यपाल ने श्री विपिन श्रीवास्तव को सूचना प्रौद्योगिकी तथा श्रीमती संगीता मिश्रा प्रधानाचार्या डेफोडिल कांवेंट स्कूल को सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में काम करने के लिये स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संविधान के तीन स्तम्भ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका है, जिसमें न्यायपालिका की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। आम आदमी न्यायपालिका पर विश्वास करता है। अधिवक्ता न्यायपालिका के अभिन्न अंग हैं, जो पीड़ितों को न्याय दिलाने का कार्य करते हैं। अधिवक्ता जनसेवा संस्थान से जुड़े पदाधिकारियों द्वारा अपने व्यवसाय से समय निकालकर गरीबों को निःशुल्क कानूनी सहायता देने का कार्य अभिनन्दन योग्य है। देश की आजादी हेतु प्रयास करने वालों में अधिवक्ताओं एवं पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिनके त्याग और परिश्रम से देश आजाद हुआ है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता देश को आगे बढ़ाने का संकल्प लें।