आर्थिक पत्रकारिता विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा सोमवार को फार्मेसी संस्थान के रिसर्च एवं इनोवेशन सेंटर में आर्थिक पत्रकारिता : चुनौतियां एवं संभावनाएं विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में वक्ताओं ने देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक पत्रकारिता के विविध आयामों पर अपने विचार रखें।

बतौर मुख्य अतिथि निदेशक प्रेरणा शोध एवं जनसंचार संस्थान प्रोफेसर बंदना पांडे ने कहा कि 90 के दशक में बहुराष्ट्रीय कंपनियां के भारत आने से आर्थिक पत्रकारिता का एक नया दौर शुरू हुआ।उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट पत्रकारिता में किसान और गरीब कही खो गया है।आज ग्रामीण भारत को दिखाने वाली पत्रकारिता की जरुरत है। उन्होंने कहा कि आज कुछ मीडिया संस्थान पूर्वाग्रही ही नहीं दुराग्रही हो गए है।यह देश के लिए शुभ नहीं है। आज मीडिया
के क्षेत्र में तकनीकी बदली, शैली बदली, कलेवर बदले लेकिन प्रतिबद्ध पत्रकारिता कहीं खो गई है।आर्थिक पत्रकारिता जब मजबूत होगी तभी देश मजबूत होगा।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता एवं विशिष्ट अतिथि नई दिल्ली के पत्रकार सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि हिंदी के समाचार पत्रों आर्थिक पत्रकारिता के क्षेत्र में काफी कुछ नया कर रहे है। आज आर्थिक पत्रकारिता का ज़माना है बजट और शेयर जैसे विषयों को आम जनमानस के अनुरूप तैयार कर प्रकाशित किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला देश है। ऐसे में देश में आर्थिक पत्रकारिता के सामने चुनौती और संभावनाएं बढ़ रही है।हम युवा पूँजी के बल पर विकास के मामले में चीन से आगे निकलने की तरफ बढ़ रहे है । उन्होंने आकंड़ों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि उद्योग, शिक्षा और अन्य कई क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का पूर्वी उत्तरा प्रदेश काफी पीछे है। मीडिया से जुड़े लोगों को इसे प्रमुखता से उठाना चाहिए।
इंजीनियरिंग के प्रोफेसर बीबी तिवारी ने अर्थव्यवस्था और आम आदमी पर अपनी बात रखी।
विषय प्रवर्तन प्राध्यापक डॉ अवध बिहारी सिंह ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में आर्थिक पत्रकारिता की विकास यात्रा को भी बताया। अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉक्टर मनोज मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन संकायाध्यक्ष प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह ने किया। संचालन जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने किया।
द्वितीय सत्र में श्यामनारायण पांडे, डॉ सुनील कुमार, डॉ दयानंद उपाध्याय, सुधाकर शुक्ला, डॉ रुशदा आज़मी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।