नई दिल्ली: आधार नंबर बिकने की खबर प्रकाशित करने वाले अखबार और पत्रकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने ‘द ट्रिब्‍यून’ और रिपोर्टर रचना खैरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इसके अलावा एफआईआर में अनिल कुमार, सुनील कुमार और राज के नाम भी शामिल हैं। रिपोर्ट में इन तीनों का हवाला दिया गया था, जिनसे रचना खैरा ने रिपोर्टिंग के दौरान संपर्क किया था। रिपोर्ट में अज्ञात व्‍यक्ति द्वारा कुछ रुपयों के एवज में व्‍हॉट्सएप पर आधार नंबर मुहैया कराने का दावा किया गया था। हालांकि, यूआईडीएआई ने उसी वक्‍त मामले की जांच कराने की बात कही थी। इस खबर के बाद विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गई थी।

ज्‍वाइंट कमिश्‍नर ऑफ पुलिस (क्राइम ब्रांच) आलोक कुमार ने एफआईआर दर्ज करने की पुष्टि की है। साइबर सेल में आईपीसी की विभिन्‍न धाराओं (419, 420, 468 और 471) के तहत मामला दर्ज कराया गया है। इसके अलावा आईटी एक्‍ट और आधार कानून के प्रावधानों को भी इसमें जोड़ा गया है। ‘द ट्रिब्‍यून’ के प्रधान संपादक हरीश खरे ने इस मामले में टिप्‍पणी करने से इनकार कर दिया है। यूआईडीएआई के शिकायत निवारण विभाग के बीएम पटनायक ने मामला दर्ज कराया है। एफआईआर में रिपोर्टर द्वारा अन्‍य लोगों से संपर्क करने के तौर-तरीकों का भी ब्‍याेरा दिया गया है। इसमें कहा गया है, ‘इन लोगों (एफआईआर में जिनके नाम का उल्‍लेख किया गया है) ने आपराधिक षडयंत्र के तहत अनाधिकृत तरीके से आधार सिस्‍टम में घुसपैठ की थी। उनका यह कदम कानून के विभिन्‍न धाराओं का उल्‍लंघन है।’

‘द ट्रिब्‍यून’ की रिपोर्ट में महज 500 रुपये में देश के करोड़ों लोगों का आधार नंबर हासिल करने का दावा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि रिपोर्टर ने इस गिरोह को चलाने वाले एक एजेंट से संपर्क किया और उसे पेटीएम के जरिये 500 रुपये का भुगतान किया था।। दस मिनट के बाद एक शख्स ने रिपोर्टर को एक लॉगइन आईडी और पासवर्ड दिया। इसके जरिये पोर्टल पर किसी भी आधार नंबर की पूरी जानकारी ली जा सकती थी। इनमें से नाम, पता, पोस्टल कोड, फोटो, फोन नंबर और ई-मेल शामिल हैं। यही नहीं जब उस एजेंट को 300 रुपये और दिए गए तो उसने ऐसा सॉफ्टवेयर दिया, जिसके जरिये किसी भी व्‍यक्ति के आधार को प्रिंट किया जा सकता था।