या गौस अल मदद की सदाओं से निकला जुलूस-ए-गौसिया

लखनऊ:आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के तत्वाधान में दरगाह हज़रत मख्दूूम शाहमीना से अपराहन 2 बजें जुलूस-ए-गौसिया बरामद होकर दरगाह हज़रत हाजी हरमैन शाह पहुचा जहाॅ फातेहा ख्वानी, सलातो सलाम व दुआ के बाद जुलूस का समापन हुआ। जुलूस की कयादत काज़ी-ए-शहर मुफती अबुल इरफान मियाॅ फिरंगी महली व मिशन के अध्यक्ष हज़रत सैयद अयूब अशरफ किछौछवी व मेहमाने खूसूसी खतीबे-ए-अहले बैत हज़रत अल्लामा व मौलाना सैयद तलहा अशरफ किछौछवी ने की। जश्न की शुरूआत तौसीफ रजा ने तिलावते र्कुआन-ए-पाक से की। नात व मन्कबत का नज़राना कारी शर्फुद्दीन, कारी जहागीर गोण्डवी, आदि ने पेश की।

जश्न-ए-गौसुलवरा में खिताब करते हुए औलादे गौसे आज़म खतिबें अहले बैत हज़रत मौलाना सैयद तलहा अशरफ किछौछवी ने कहा कि जिसके वालिद मौला अली हो और माॅ फातिमा ज़हरा हो उनकी औलाद हसनैन करीमैन बनते है जब बाप हज़रते अबु सालेह हो और माॅ उम्मूूल खैर हो तो औलाद गौसुल सक़लैन होती है उन्होंने फरमाया गौसे आज़म शेख अब्दुल कादिर जिलानी औलिया अल्लाह की जमात के इमाम है इनमें मौला अली का खून फातिमा जहरा का दूध और रसूल-ए-आज़म का नूर शामिल है ऐसे नबी की औलाद ही गौसे आज़म बनती है क्योकि नबी रसूल-ए-आज़म तो, अब्दुल कादिर जिलानी गौसे आज़म जिस तरह नबी खैरूलवरा उसी तरह अब्दुल कादिर गौसुलवरा, वह नबी इमामूल अम्बीया शेख अब्दुल कादिर इमामुल औलिया व सरवरे कौनेन ये गौसुल सकलैन है इसी लिए उनको नबी का परतो कहा जाता है। जिस तरह रसूलों की जमात में हमारे नबी के सिवा कोई रसूले आज़म न हुआ उसी तरह औलिया के जमात में गौस तो हुए मगर हज़रत शेख अब्दुल कादिर के सिवा कोई गौसे आज़म न हुआ।

जश्न -ए-गौसुलवरा में अपने अध्यक्षता में बोलते हुए हज़रत सैयद अयूब अशरफ ने कहा कि हुजुर-ए- अकरम सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम न फरमाया है कि ‘‘ए लोगों मै तुम्हारे बीच दो भारी चीजें छोड़े जा रहा हॅू एक र्कुआन दूसरा मेरी इतरत उनकों मज़बूती से पकड़े रहो तुम हरगीस हरगीस गुमराह नही होगे‘‘ और यही वजह है आज दुनिया के गोशे गोशे में आले रसूल ने जो दीन की खिदतम की है उसको फरामोश नही किया जा सकता, चाहे व बगदाद में गौसुल आज़म मुहिउद्दीन शेख सैयद अब्दुल कादिर जिलानी की ज़ाते पाक हो चाहे अजमेंर में ख्वाजा गरीब नवाज की जाते पाक हो या किछौछा में हज़रत गौसुल आलम मख्दूूम सैयद अशरफ जहागीर समनानी की जाते पाक हो।

काज़ी-ए-शहर मुफती अबुल इरफान मियाॅ फिरंगी महली, मौलाना ज़ाकिर हुसैन अशरफी और मौलाना मुनव्वर हुसैन बस्तवी ने हज़रत षेख अब्दुल कादिर जिलानी बड़े पीर के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके मार्गदर्शन पर चलने की लोगों को प्रेरणा दी।

जुलूस-ए-गौसिया में आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन (यूथ विंग) के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अहमद किछौछवी, मिशन के उपाध्यक्ष शेख शाकिर अली मिनाई, सैयद इकबाल हाशमी, सचिव सैयद अहमद नदीम, मिडिया प्रभारी वहीदुल हसन सिद्दीकी, अब्दुल मन्नान मुशाहिदी, सैयद मोहम्मद हाशिम, सैयद मोहम्मद अरशद, सैयद मोहम्मद जुनैद अशरफ, मोहम्मद आरिफ मियाॅ नक़्शबन्दी, सैयद मोहम्मद राशिद, मौलाना अमान अतीक, फैज़ान अतीक फिरंगी महली, एजाज़ मिनाई, नासिर मिनाई और अधिक संख्या में अन्जुमन व श्रद्धालु शामिल हुए। जुलूस-ए-गौसिया के बाद दरगाह शाहमीना में भोज व लंगर का आयोजन किया गया।