नई दिल्ली: तुरंत तीन तलाक रोकने के लिए पेश किया गया मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक लोकसभा में तो पास हो गया है, लेकिन अब मोदी सरकार के सामने इसे राज्यसभा में पास करवाने की चुनौती है. क्योंकि इसमें बीजेपी को बहुमत नहीं है.

ऐसे में उसे अपनी धुर विरोधी पार्टी कांग्रेस का साथ चाहिए. माना जा रहा है कि बीजेपी के नेता इस बाबत कांग्रेस नेताओं से बातचीत कर सकते हैं. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अचानक 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की राह पर चल पड़ी है, ऐसे में वह राज्यसभा में इस बिल को लेकर सरकार के खिलाफ ज्यादा मुखर नहीं होगी. ऐसा होता है तो मोदी सरकार का काम आसान हो जाएगा.

यह विधेयक राज्यसभा में 2 फरवरी को पेश होने की संभावना है. इस समय राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के 57 सांसद हैं, जबकि, जेडीयू के 7, टीडीपी के 6, शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना के 3-3 सांसद हैं. इसके अलावा सरकार को टीआरएस के 3, आरपीआई, नागालैंड पीपल्स फ्रंट (एन पी एफ) और आईएनएलडी के एक-एक सांसद का भी समर्थन मिलने की उम्मीद है.

दूसरे ओर, राज्यसभा में कांग्रेस के 57 सांसद हैं. यूपीए में उसकी सहयोगी टीएमसी के 12, एनसीपी के 5, डीएमके के 4, आरजेडी के 3 हैं. गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी दलों का भी राज्यसभा के भीतर अच्छा प्रतिनिधित्व है. इनमें समाजवादी पार्टी के 18, एआईएडीएमके के 13, बीजेडी के 8, सीपीएम के 7, बीएसपी के 5 और सीपीआई का 1, सांसद शामिल है.

राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से सत्ताधारी पार्टी छोटे दलों को या फिर कांग्रेस को राजी करना होगा. अगर राज्यसभा में मौजूदा बिल को संशोधन के साथ पास किया गया तो उसे फिर लोकसभा में पास करना होगा. संसद का मौजूदा सत्र 5 जनवरी तक है.