समाजवादी चिन्तक से मिले तिब्बत के स्वतंत्रता संग्रामी

लखनऊ: तिब्बत यूथ कांग्रेस के शिष्टमंडल ने समाजवादी चिन्तक व इण्टरनेशनल सोशलिस्ट काउन्सिल के सचिव दीपक मिश्र से मुलाकात की। शिष्टमण्डल से बातचीत करते हुए श्री मिश्र ने बतलाया कि भारत की जनता पूर्णतया तिब्बतियों के साथ है। तिब्बत की आजादी में भारत का भी सामरिक हित-निहित है। राममनोहर लोहिया ने 1949 में लंदन कांफ्रेन्स एवं 30 जून व 14 जुलाई 1967 को संसद में तिब्बतियों की आजादी के सवाल को उठाया था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय व अटल बिहारी बाजपेयी भी ने भी लोहिया का पुरजोर समर्थन किया था किन्तु वर्तमान समय में केन्द्र सरकार की तिब्बत नीति अपनी धार खो चुकी है। भारत व तिब्बत का सांस्कृतिक सम्बन्ध काफ़ी पुराना है। हम तिब्बत को अकेला नहीं छोड़ सकते न हमें छोड़ना चाहिए। प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री को तिब्बत पर अपना रुख व रवैया स्पष्ट करना चाहिए। प्रधानमंत्री जी झी जिंपिंग की नजर से देखने की बजाए लोहिया व दीनदयाल की दृष्टि से तिब्बत को देखें तो बेहतर होगा।

श्री मिश्र ने प्रधानमंत्री से घुटना-टेकू विदेश नीति की जगह प्रभावी व प्रखर कार्यनीति अपनाने की अपील की। भारत को सर्वाधिक सामरिक खतरा चीन से है। जब तक तिब्बत आजाद नहीं होगा, तब तक एशिया में स्थायी शांति सम्भव नहीं है। श्री मिश्र ने कहा कि चीनी विस्तारवाद अथवा उपनिवेशवाद से निर्णायक लड़ाई की पहल भारत को करना होगा। सोशलिस्ट काउन्सिल के अगले अधिवेशन में हाफ़िज सईद व तिब्बत के मसले को पूरी ताकत के साथ उठाया जाएगा। शिष्टमंडल में तिब्बत यूथ कांग्रेस की केन्द्रीय कार्यकारिणी की सदस्या सेवांग डोल्मा, टामडिंग, भारत-तिब्बत समन्वय केन्द्र के क्षेत्रीय समन्वयक सामतेन येशी, पेम्बा शीरिंग व दन्दूक नाम महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि तिब्बत यूथ कांग्रेस तिब्बत की आजादी व स्वायत्ता के लिए सकारातमक जनमत बनाने के लिए भारत जागरण यात्रा निकाल रहे हैं। दीपक ने प्रतिनिधि मण्डल को तिब्बत पर प्रकाशित लोहिया व समाजवादी साहित्य भेंट करते हुए हर संभव मदद करने की प्रतिबद्धता दोहराई।