नई दिल्ली: पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने सोमवार को मेरठ में कहा कि कप्तान भले ही टीम का सर्वेसर्वा होता है लेकिन कई मामलों में उसकी भूमिका केवल राय देने वाली होती है और यही वजह है कि विराट कोहली के समर्थन के बावजूद वह भारतीय टीम का कोच नहीं बन पाए। अनिल कुंबले के कप्तान कोहली के साथ अस्थिर संबंधों के कारण मुख्य कोच पद छोड़ने के बाद सहवाग भी इसके दावेदारों में शामिल हो गए थे। सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की तीन सदस्यीय क्रिकेट सलाहकार समिति ने हालांकि रवि शास्त्री के नाम पर मोहर लगाई जो इससे एक साल पहले कुंबले से दौड़ में पिछड़ गए थे। सहवाग ने कहा कि कप्तान का टीम से जुड़े विभिन्न फैसलों पर प्रभाव होता है लेकिन कई मामलों में अंतिम निर्णय उसका नहीं होता है।
उन्होंने मेरठ में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘कोच और चयन में कप्तान की भूमिका हमेशा राय देने वाली रही है। विराट कोहली चाहते थे कि मैं भारतीय टीम का कोच बनूं। जब कोहली ने संपर्क किया तभी मैंने आवेदन किया,लेकिन मैं कोच नहीं बना। ऐसे में आप कैसे कह सकते हैं कि हर फैसले में कप्तान की चलती है।’’ सहवाग के बारे में कहा गया था कि उन्होंने केवल एक पंक्ति में कोच पद के लिए आवेदन कर दिया था लेकिन अपने करियर में 104 टेस्ट और 251 वनडे खेलने वाले इस विस्फोटक बल्लेबाज ने इससे इनकार किया।