नई दिल्ली: रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे के अधिकारों के विकेंद्रीकरण से जुड़ा बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि उनकी यह सोच हॉलीवुड की फिल्म ‘स्पाइडरमैन’ के संवाद से निकली है कि ज्यादा अधिकार ज्यादा जिम्मेदारी भी लाते हैं. मंत्रालय अपने अधिकारियों को अधिक अधिकार देना चाहता है जिन्हें वे अधिक जिम्मेदारी से निभाएं.

एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि रेलवे की सुरक्षा चाकचौबंद बनाने के लिए धन की न तो कमी थी और न ही होगी. देश भर में रेलवे स्टेशनों को सीसीटीवी कैमरों के दायरे में लाने की दिशा में काम शुरू किया गया है. इसके साथ ही गोयल ने कहा कि रेलवे के किसी विभाग या प्रकोष्ठ को बंद करने की कोई योजना नहीं है हालांकि उनका एकीकरण व मजबूतीकरण किया जा रहा है.

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उन्होंने संकेत भी दिया कि रेलवे के सारे अधिकारों व अधिकारियों को यहां रेल मुख्यालय ‘रेल भवन’ तक सीमित रखने की सरकार की कोई मंशा नहीं. उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया कि रेल यात्रियों और रेल की सुरक्षा रेलवे की शीर्ष प्राथमिकता है जिससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा, हालांकि इस प्रक्रिया में रेल कर्मचारियों की पूरी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. रेलवे ने अधिकारों के विकेंद्रीकरण की दिशा में बड़ी पहल करते हुए सुरक्षा से जुड़ा कोई भी काम मंजूर करने का पूरा अधिकार अपने महाप्रबंधकों को सौंपने तथा मंडल रेल प्रबंधकों व अन्य फील्ड अधिकारियों के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों में बढ़ोतरी करने की घोषणा की.

उन्होंने बताया कि रेलवे में निर्णय प्रक्रिया व परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने तथा रेलवे की पूरी कार्य संस्कृति को चुस्त-दुस्त बनाने के लिए दस सिद्वांतों के आधर पर महाप्रबंधकों, मंडल रेल प्रबंधकों व फील्ड अधिकारियों के अधिकारों में व्यापक बदलाव व बढ़ोतरी की गई है. इसके तहत सुरक्षा से जुड़ा कोई भी काम रेलवे महाप्रबंधक मंजूर कर सकेंगे और इसके लिए कोई सीमा नहीं होगी. इसी तरह मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) 62 साल तक की आयु के सेवानिवृत्त रेल कर्मचारियों को फिर से काम दे सकेंगे. मंडल रेल प्रबंधकों के यात्री सुविधा व अन्य काम से जुड़े वित्तीय अधिकार को भी एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 .5 करोड़ रुपया किया गया है.

सुरक्षा से जुड़े काम को तेज करने के लिए ट्रेक मशीनों की मरम्मत आदि के लिए और अधिकार फील्ड अधिकारियों को दिये गए हैं. रेल मंत्री ने कहा कि इंजन व डिब्बों के कलपुर्जों जैसे समान की खरीद की प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ये फैसले भारतीय रेलवे के सतत और प्रणालीगत रूपांतारण की दिशा में एक कदम है.