राज्यपाल ने शायरी संग्रह ‘मौजे तबस्सुम’ का लोकार्पण किया

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज कैफी आज़मी अकादमी लखनऊ में उर्दू रायटर्स फोरम के तत्वावधान में आयोजित समारोह में स्व0 अता हुसैन ‘अता लखनवी’ का शायरी संग्रह ‘मौजे तबस्सुम’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर न्यायमूर्ति एस0एच0ए0 रज़ा (अवकाश प्राप्त) ने अध्यक्षता की तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर डाॅ0 अम्मार रिज़वी पूर्व मंत्री उपस्थित थे।

राज्यपाल ने स्व0 अता लखनवी की पुस्तक के विमाचन के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वास्तव में यह लोकार्पण इतिहास को वर्तमान में लाने जैसा काम है। ‘मुझे उर्दू नहीं आती, मैं शेर से डरता हूँ पर शेर सुनने वालों के चेहरे की हंसी और आंखों की चमक देखकर अच्छा लगता है।’

श्री नाईक ने कहा कि उर्दू संविधान द्वारा अधिकृत भाषा है। हिन्दी के बाद उर्दू सबसे ज्यादा बोली जाती है। ‘हिन्दी उर्दू की बड़ी बहन यानि उर्दू की आपा है तथा देश को जोड़ने वाली भाषा है। उर्दू विशेष लोगों की नहीं बल्कि भारतीय भाषा है। जो लोग वर्ग विशेष की समझते हैं शायद उन्होंने संविधान को नहीं समझा है।’ उन्होंने कहा कि संविधान को मानने का काम राज्यपाल नहीं करेगा तो कौन करेगा।

राज्यपाल ने कहा कि उर्दू उत्तर प्रदेश की दूसरी अधिकृत भाषा है। लोगों को राजभवन पहुंचने में असुविधा न हो इसलिए उन्होंने राजभवन के समस्त प्रवेश द्वारों पर हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में गेट का नं0 लिखवाया है। प्रदेश की दूसरी अधिकृत भाषा होने के वजह से उन्होंने अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का उर्दू में भी प्रकाशन कराया है। उन्होंने कहा कि वे सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करते हैं और हर भाषा को उसका उचित स्थान मिलना चाहिए।

न्यायमूर्ति एस0एच0ए0 रज़ा ने कहा कि अता लखनवी अच्छे शायर ही नहीं बल्कि एक अच्छे इंसान भी थे। डाॅ0 अम्मार रिज़वी पूर्व मंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने उर्दू को दूसरी जुबान का व्यवहारिक दर्जा दिया है जो वास्तव में सराहनीय है।

प्रो0 शारिब रूदौलवी ने पुस्तक और शायर अता लखनवी के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शायरी का काम लोगों में एहसास जगाने के लिए होता है। उन्होंने कहा कि शायरी के पीछे का जज्बा समझने की जरूरत है।

राज्यपाल ने इस अवसर पर अपनी विशिष्ट सेवाओं के लिए अमर उजाला के पत्रकार आलोक पराड़कर, एलिया लाॅ एजेन्सी के मशकूर जैदी, अधिवक्ता कायमुल हसनैन, सुश्री नज़मा खातून और पत्रकार हारून रशीद को अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।