नई दिल्ली: जुनैद हत्या मामले में कई गंभीर आरोप होने के बाद भी पुलिस ने तीन महीने में चार-छह आरोपियों को जमानत पर बाहर कर दिया।

इस साल जून में दिल्ली-मथुरा स्थानीय ट्रेन में जुनैद को भीड़ द्वारा मार दिए जाने के तीन महीने से कम समय में इस मामले में गिरफ्तार छह अभियुक्तों में से चार जमानत मिल चुकी है। यही नहीं इस मामले में हरियाणा रेलवे पुलिस ने आरोप पत्र में उनके खिलाफ दंगे, गैरकानूनी विधानसभा और आम इरादे के आरोप वापस ले लिया है। इस मामले में दो अन्य अभियुक्त अभी भी पकड़ा नहीं जा पाया है।

बल्लाब्गढ़ में एक कारखाने में लेखाकार चंद्रदर्शक को 27 जुलाई को जमानत दे दी गई थी। वही गिरफ्तार होने के एक महीने बाद गौर और प्रदीप को 2 अगस्त को जमानत पर छोड़ दिया गया था। रमेश, पालवाल के जोधपुर गांव के निवासी को भी 18 अगस्त को जमानत दे दी गई थी। हालांकि घटना के एक दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि वह इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। लेकिन आरोपों के बाद भी इन्हें ज़मानत मिल गई।

जुनैद हत्या मामले में पांचवे आरोपी रमेशवार की जमानत याचिका मंगलवार को फरीदाबाद की स्थानीय अदालत में सुनवाई के लिए हुई थी और इस संबंध में एक आदेश बुधवार को होने की संभावना है।

वही इस मामले में पीड़िता के परिवार के वकील निब्रश अहमद ने द हिंदू को बताया कि हरियाणा रेलवे पुलिस ने चार लोगों के जमानत याचिकाओं के जवाब में दंगों, गैरकानूनी विधानसभा और आम इरादों के आरोपों को वापस ले लिया है जिससे उनकी जमानत की सुविधा मिल गई। अहमद ने कहा कि “पुलिस दबाव में काम कर रही थी इसलिए आरोपी की मदद के आरोपों को वापस ले लिया गया। यह मामले को पटरी से उतारने का प्रयास है।”

अहमद ने आरोप लगाया कि चार लोगों ने जुनैद को पकड़ा जबकि नरेश ने उसे मारा, इस मामले में साफ़ इरादा साबित किया। वकील ने तर्क दिया कि चंदर, गौरव, प्रदीप और रामेश्वर एक ही गांव के थे और जुनेद और उनके भाइयों के साथ तर्क में शामिल थे। इतना ही नहीं हत्या तक दी गई।