फर्रुखाबाद : आक्सीजन न मिलने से 49 बच्चों की मौत छिपाए जाने के मामले में प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए फर्रुखाबाद के डीएम रवीन्द्र कुमार, सीएमओ उमाकान्त पांडे और सीएमएस डॉ अखिलेश अग्रवाल को हटा दिया है। खुद सीएमओ और सीएमएस ने अपनी रिपोर्ट में डीएम को बताया है कि बच्चों की मौत आक्सीजन की कमी से हुई।

सीएमओ और सीएमएस ने 30 बच्चों की मौत की रिपोर्ट दी जबकि मौत 19 बच्चों की हुई थी, बाद में बताया गया कि ये 19 बच्चे पैदा होने से पहले ही मर चुके थे। इस पर डीएम के आदेश पर सिटी मजिस्ट्रेट ने रविवार शाम सीएमओ, सीएमएस और राममनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सायल के सएनसीयूवार्ड केडॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी थी। सोमवार को डॉक्टर काम बंद कर के सुबह से बैठक कर रहे हैं, जिला अस्पताल में सैंकड़ों मरीज सड़क पर बैठे हैं।

उत्तरप्रदेश में सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है और अब फर्रुखाबाद के राममनोहर लोहिया अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 49 बच्चों की मौत हुई है। जिला प्रशासन ने मामले को लेकर सीएमओ और सीएमएस के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। हालांकि प्रशासन लगातार ऑक्सीजन या दवा की कमी की बात से इंकार कर रहा है।

एक महीने के भीतर 49 बच्चों की मौत हो गई। 20 जुलाई से लेकर 21 अगस्त तक 49 बच्चों की मौत का आंकड़ा सामने आया था, जिसमें से 19 बच्चों की मौत प्रसव के दौरान और 30 बच्चों की मौत न्यू बोर्न केयर यूनिट में इलाज के दौरान हुई थी।

शहर कोतवाली में दर्ज कराए गए मुकदमे में सिटी मजिस्ट्रेट जयनेंद्र कुमार जैन ने कहा है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने प्रशासनिक अधिकारियों आदेशों की अवहेलना की। लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में 23 मई से 14 अगस्त व पूर्व में निरीक्षण के दौरान एसएनसीयू वार्ड में मरने वाले बच्चों की सूचना मांगी गयी थी लेकिन इन अधिकारियों ने नहीं दी।

इसके बाद 30 अगस्त को जिलाधिकारी ने एक माह में हुई 49 बच्चों की मौत की जांच के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की अध्यक्षता में टीम गठित की। इसके बाद भी दोनों अधिकारियों ने आदेश का अनुपालन नहीं किया, उन्होंने मरने वाले मात्र 30 बच्चों की सूची संलग्न की और बताया कि अधिकांश बच्चों की मौत पेरीनेटल एस्फिक्सिया (आक्सीजन की कमी) से हुई है।

सिटी मजिस्ट्रेट ने एफआईआर में यह भी कहा है कि जांच अधिकारी को मृत बच्चों की मां व परिजनों से बात की तो इन लोगों ने बताया कि डाक्टर ने आक्सीजन की नली नहीं लगाई (आक्सीजन नहींदी) और कोई दवा नहीं दी। इससे स्पष्ट है कि अधिकतर शिशुओं की मृत्यु पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन न मिलने के कारण हुई। उन्होंने यह भी कहा है कि डॉक्टरों को यह ज्ञान होना चाहिए कि आक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति न होने पर बच्चों की मौत हो सकी है, यहां भी लापरवाही बरती गयी है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि जमशेदपुर और राजस्थान में लगातार इस तरह की दिल दहलाने वाली घटना सामने आ रही है। राजस्थान के बांसवाड़ा में और झारखंड के जमशेदपुर अस्पताल में 50 से ज्यादा नवजात के मरने की खबर आई थी। गोरखपुर के लिए अगस्त का महीना दर्दनाक रहा। अगस्त में अकेले गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 450 से ज्यादा बच्चों ने दम तोड़ दिया। प्रशासन का कहना है कि बारिश में बच्चे ज्यादा बीमार होते हैं और जब उनकी हालत ज्यादा खराब होती है तब वे अस्पताल आते हैं, ऐसे में उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है।