लखनऊ: ‘‘हर निर्णय में भागीदारी हमारा ये अधिकार है, बिना हमारी भागीदारी हर निर्णय बेकार है’’ की गॅूज के साथ बाल संगठनों के राज्यस्तरीय नेटवर्क ’’हम बच्चे’’ की प्रस्तुति ‘‘कोई सुन रहा है?’’ का आयोजन आज संगीत नाटक अकादमी के वाल्मिकी सभागार में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के 13 जिलों के 18 बाल संगठनों के बच्चों ने प्रतिभाग किया और माइम, लघु नाटिका एवं गीतों के माध्यम से सामाजिक सरोकारों पर अपनी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति दी। बच्चों ने ‘‘ लौटा दो मेरा बचपन’’ नामक नाटक एवं ‘‘कोई सुन रहा है?’’ नामक माइम प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदेश में बाल अधिकारों, विशेषकर शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य, बाल श्रम, बाल व्यापार, बाल विवाह एवं बाल सुरक्षा जैसे मुद्दो को प्रदेश के विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं एवं विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष न केवल रखा, बल्कि बच्चों के लिए उपलब्ध योजनाओं और उनकी जमीनी हकीकत की स्थिति भी बयाॅं की। साथ ही बच्चों ने अपनी सुरक्षा एवं संरक्षण की स्थिति पर आने वाली चुनौतियों की तस्वीर तथा उनके सुझाव भी प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम की शुरूआत ‘‘हम बच्चे’’ के थीम सांग ‘‘इस धरती से नील गगन तक’’ के साथ हुई, तो इस जोशीले गीत का साथ समस्त दर्शकों ने भी कर्तल ध्वनि के साथ गाते हुए दिया। इसके पश्चात् बच्चों के द्वारा नाट्य प्रस्तुति ‘‘लौटा दो मेरा बचपन’’ के माध्यम से अपने गाॅव-गिराॅव की विभिन्न समस्याएॅं, जैसे- बाल श्रम उन्मूलन कानून तो बन गया, फिर भी बच्चे काम पर क्यों और कैसे, बाल विवाह निषेध अधिनियम तो है, पर बाल विवाह जारी क्यों और कैसे, आई.सी.पी.एस. यानी छतरी योजना तो बन गयी, पर हमारे बच्चों के जीवन में कारगर अब तक नहीं, पाॅक्सो एक्ट तो बन गया पर लोगो को मालूम ही नहीं, जैसे बच्चों से जुड़े महत्वपूर्ण मुदद्ो को एक तरफ जहाॅ मर्मस्पर्शी ढंग से सबके सामने रखा, वहीं इसके सम्भावित समाधन के सुझाव भी प्रस्तुत किए। बच्चों ने अपने नाटक के माध्यम से स्पष्ट किया कि हमारी सरकारें बच्चों के लिए बनी विभिन्न योजनाओं और कानूनों के क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा यदि कड़ाई से करें, तो हम बच्चों के जिन्दगी में जरूर सकारात्मक परिवर्तन आएगा। तद्ोपरान्त बच्चों ने अपनी माइम प्रस्तुति कोई सुन रहा है..? के जरिए गर्भावस्था से लेकर जीवन के अन्तिम क्षण तक लैंगिक भेदभाव के कारण लड़कियों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों एवं अपने संघर्ष से अपना मुकाम बनाने वाली लड़कियों की मूक अभिव्यक्ति को प्रस्तुत किया।

इस कार्यक्रम में सभी बच्चों ने मिलकर एक मांगपत्र तैयार किया था, जिसे उन्होंने इस कार्यक्रम में आए अतिथियों को सौंपते हुए यथावश्यक सहयोग का अनुरोध किया। भदोही से आए हम बच्चे नेटवर्क के सचिन ने हम बच्चे राज्यस्तरीय नेटवर्क के 6 वर्षो का सफरनामा गीतों के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए कहा कि विगत 6 वर्षो की यात्रा में जहाॅ हमने राजभवन के आतिथ्य क्षण का सुख लिया, वही महिला एवं बाल विकास विभाग के तात्कालीन प्रमुख सचिव श्री बलविन्दर कुमार द्वारा अपने कार्यालय में बुलाकर हम बच्चों के पहल को सराहा जाना, प्रोत्साहन देना और समस्याओं के समाधान हेतु त्वरित निर्णय लेना अविस्मरणीय रहा है।

कार्यक्रम के समापन के अवसर पर बच्चों की अभिव्यक्ति से अभिभूत कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही महिला एवं बाल विकास मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने बच्चों की समस्याओं के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए उनके समाधान की दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया। उन्होने कहा कि आज हमने बच्चो की प्रस्तुतियों के माध्यम से आपकी पुकार सुनी और हम वादा करते है कि आपकी वेदना और पुकार को हम निश्चित तौर पर निदान की दिशा में पहल करेंगे। कम से कम तात्कालिक तौर पर महिलाओं के बच्चों को कैसे हम अपने स्तर से राहत दे सकते है इस पर विचार करते हुए अवश्य क्रियान्वयन करेंगे।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह ने कहा कि बाल अधिकार मानवाधिकार का ही एक स्वरूप है। किसी भी विकसित देश की पहचान वहाॅ के महिलाओं और बच्चों के सुरक्षा एवं विकास के संकेतकों से ही होती है। बच्चों की इन स्थितियों को देखकर मै अभिभूत हूॅ और सरकार को बच्चों के प्रति और संवेदनशील बनाने हेतु और अधिक प्रयास करने का वचन देती हूॅ।

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री स्वाती सिंह ने कहा कि ‘‘बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति सजग व संगठित होकर आगे आने का यह प्रयास अत्यन्त सराहनीय है और इसके लिए उनकी संस्था दृढ़ संकल्पित है।’’ हर वंचित तबके का सबसे बड़ी चुनौती होती है कि वह स्वयं अपनी समस्याओं को रख पाने में असमर्थ होता है और उनकी चुप्पी ही उनकी सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है। ‘‘हम बच्चे’’ के बच्चों ने चुप्पी तोड़कर सराहनीय कार्य किया है, जिसे हमें बहुत ही गम्भीरता से लेनी चाहिए।

महिला सम्मान प्रकोष्ठ की डिप्टी एस.पी. साधना सिंह ने कहा कि ने कहा कि आज हम वयस्कों के लिए यह नसीहत है कि हम उनके सुरक्षा व संरक्षण की दिशा में पीछे है, जिसकी वजह से उन्हें स्वयं आगे आना पड़ा। किन्तु आज के बच्चों के इस कार्यक्रम ‘‘कोई सुन रहा है’’ के माध्यम से जो समयाएॅ निकलकर आई, उसके समाधान के लिए हम सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

हम बच्चे नेटवर्क की मातृ संस्था डाॅ. शम्भुनाथ सिंह रिसर्च फाण्डेशन के महासचिव एवं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के विशेषज्ञ समूह के सदस्य राजीव कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश में बाल सुरक्षा को लेकर सरकार और समाज को और संवेदनशील तरीके से समवेत प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बाल संरक्षण के मुद्दे पर बच्चों के इस प्रदेशव्यापी गठजोड़ को और अधिक सशक्त बनाना तथा बाल सहभागिता को ग्राम से राज्य स्तर तक प्रोत्साहन देना है जिसमें हम काफी हद तक सफल रहे है। उन्होंने कहा कि बच्चों का यह मंच बाल सुरक्षा एवं सहभागिता की दिशा में किसी भी प्रयास में सरकार के साथ समन्वय एवं पैरवीकारी हेतु दृढ़ सकल्पित है।

कार्यक्रम के अन्त में फाउण्डेशन की कार्यक्रम निदेशिका डाॅ. रोली सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि धन्यवाद ज्ञापन के सबसे बड़े पात्र दूर-दराज जिलों से विभिन्न दुश्वारियों को झेलते हुए यहाॅ तक आए और अपनी मंजिल के प्रति प्रतिबद्ध हम बच्चे नेटवर्क के प्रतिनिधि है, जिन्होने ‘‘गुदड़ी के लाल’’ की कहावत को चरितार्थ किया और इस कार्यशाला में तैयार प्रस्तुतियों के माध्यम से सरकार एवं समाज के नुमाइन्दों का ध्यान अपनी तरफ अवश्य आकृष्ट किया। साथ ही इस कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों को भी धन्यवाद, जिन्होंने बच्चों की बातो को न सिर्फ गम्भीरता से सुना और सराहा बल्कि उनके लिए कुछ करने की बेचैनी भी दिखी।

डाॅ. शम्भुनाथ सिंह रिसर्च फाउण्डेशन द्वारा प्लान इण्डिया के सहयोग से आयोजित इस द्विदिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला में प्रदेश के 13 जिलों से आए स्वयंसेवी संस्थाओं एवं बाल संगठनों क्रमशः बाल पहरूआ-सन्त रविदास नगर भदोही, बाबू बहिनी मंच- महाराजगंज, तहरीक बाल संगठन- लखनऊ, बाल फोरम कमेटी- बदायूॅ, एकता बाल समूह- वाराणसी, स्वराज्य बाल समूह-सोनभद्र, बाल वाटिका मंच- मिर्जापुर, एकलव्य बाल समूह- सोनभद्र, बाल अधिकार मंच- बहराइच, बाल विकास मंच-अम्बेडकर नगर, हम भी- लखनऊ, वाॅयस आॅफ चिल्ड्रेन- मिर्जापुर, करिश्मा बाल अधिकार मंच-महोबा, रोजी-रोटी बाल मंच- लखनऊ, बाल पंचायत- हमीरपुर, संकल्प-मेरठ, दिया बाती-वाराणसी, वात्सल्य-लखनऊ आदि बाल संगठनों एवं उनकी मातृ संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।