नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। पीएम मोदी अक्सर अपने भाषणों में खुले में शौच की आदत को दूर करने और शौचालय निर्माण का जिक्र करते हैं। लेकिन पीएम के इस अभियान को चैलेंज किया है बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश की एक आईएएस ने। पीएम मोदी का कहना है कि घरों में शौचालय ना होने से सबसे ज्यादा परेशानी देश की महिलाओ को उठानी पड़ती है। लेकिन पीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को चैलेंज करने वाली आईएएस भी महिला हैं। दीपाली रस्तोगी नाम की इस महिला आईएएस ने खुले में शौच से मुक्ति (ODF) अभियान को अंग्रेजों के प्रति भारत की मानसिक गुलामी बताया है। दीपाली रस्तोगी ने इस बावत अंग्रेजी अखबार द हिन्दू में एक लेख लिखा है।

दीपाली रस्तोगी ने लिखा है कि हमारे यहां सरकार ने खुले में शौच से मुक्ति के लिए मेगा लेवल पर अभियान चला रखा है, जैसे शौचालय निर्माण सड़क निर्माण या फिर डैम बनाने जैसा अभियान हो। भोपाल में तैनात आदिवासी कल्याण विभाग की कमिश्नर दीपाली आगे लिखती हैं कि गोरे कहते हैं कि खुले में शौच गलत है और हम तुरंत रक्षात्मक हो जाते हैं, अपनी सैकड़ों साल की आदत को बदलने के लिए छटपटाने लगते हैं, लेकिन हम ये नहीं जानते हैं कि हम गोरे नहीं है और उनकी वॉशरूम हैबिट हमसे अलग है। दीपाली रस्तोगी ने देश में पानी की कमी पर सवाल उठाते हुए शौचालय निर्माण पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने लिखा है कि हम सोचते हैं कि शौचालय बना लेंगे, उसके ऊपरी पानी की टंकी लगा देंगे वहां पानी चढ़ा देंगे, लेकिन गांवों में पानी है कहां, यहां तो पीने के लिए पानी लाने के लिए कई किलोमीटर जाना पड़ता है। अगर बिजली से पानी चढ़ाएंगे तो हमारे गांवों में बिजली रहती कितनी घंटे हैं।

इस लेख में दीपाली रस्तोगी कहती हैं कि वे खुले में शौच से मुक्ति के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जिस तरीके से इस अभियान को लेकर हड़बड़ी दिखाई जा रही है वह उसके खिलाफ है। दीपाली रस्तोगी ने अप्रत्यक्ष रुप से पीएम के इस तर्क पर भी सवाल खड़ा किया है कि घर में शौचालय बनने से महिलाओं की प्रतिष्ठा महफूज रहती है। दीपाली रस्तोगी का कहना है कि मर्दों को तमीज सिखाने के बजाए हम औरतों को घर में कैद रखना चाहते हैं ये कैसी सोच है, आखिर मर्द मर्द ही रहेंगे। लेकिन उनका क्या जो खुले आम छेड़खानी करते हैं। उनको देखने वाला कोई है क्या?