डाॅ. अशोक भंडारी, सेक्रेटरी, नेशनल निओनैटोलाॅजी फोरम आॅफ इंडिया

आपके बच्चे गर्म और उमस भरे उत्तर भारतीय मौसम (दिल्ली एनसीआर में भी) में जैसे-जैसे बड़े होते हैं उनके बालों में धूल और पसीना जमा होने लगता है। बाहर खेलने का आनंद और खोज की प्रवृत्ती इस उम्र में बदबुदार, रूखे और उलझे हुए बालों का कारण बनती है। बालों में रोज तेल लगाने के नियम से इसमें इजाफा होता है और एक क्रियाशील दिन के अंत में आपके बच्चे के बाल बहुत ही अधिक गंदे हो जाते हैं।

कई माता-पिता के लिए जिनका नवजात जब बच्चा बन जाता है तो अक्सर वे यह जानने की चुनौती का सामना करते हैं कि उनके बच्चे के लिए कौन-सा हेयर केयर उत्पाद सटीक है।

डाॅ. अशोक भंडारी, सेक्रेटरी, नेशनल निओनैटोलाॅजी फोरम आॅफ इंडिया के अनुसार विशेषज्ञ की सलाह के अभाव के कारण अधिकतर पैरेंट्स वयस्कों/परिवार के हेयर केयर ब्रांड्स का इस्तेमाल अपने बच्चे के लिए करने लगते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बच्चे के बाल अब भी नाजुक होते हैं। बच्चे के लिए खासतौर पर समर्पित हेयर केयर उपायों का इस्तेमाल करने की बहुत जरूरत है।

जन्म के बाद हेयर फाॅलिकल्स का घनत्व स्कैल्प से धीरे-धीरे घटता जाता है (स्कैल्प का आकार बढ़ने के साथ ही), जबकि बालों की मोटाई बढ़ती है, यह प्रक्रिया शुरुआती चार सालों में तेजी से होती है और 10 साल की उम्र में परिपक्व हो जाती है।

ये प्राइमरी बाल मोटाई और लंबाई में दोगुणा गति से बढ़ते हैं जबकि बच्चे के शुरुआती सालों और दस साल की उम्र तक मोटाई और लंबाई में पांच गुणा गति से बढ़ते हैं। इस वृद्धि के समय में बच्चों के बाल कमजोर होते हैं और वयस्कों के मुकाबले इन्हें नुकसान पहुंचने की संभावना अधिक होती है।

शोधों से पता चलता है कि हर तीसरी मां तीन साल की उम्र में अपने बच्चे के बालों में वयस्कों/परिवार का शैम्पू इस्तेमाल करने लगती हैं और बच्चे के बड़े होने के साथ यह इस्तेमाल बढ़ता जाता है।

क्वालिटेटिव स्टडीज बताते हैं कि वे ऐसा कुछ त्वरित उपायों के साथ करती है जैसे सख्ती को कम करने के लिए वे शैम्पू को पतला कर लेती हैं या शैम्पू आंखों में न जाए इसलिए सिर के आगे से पीछे की ओर शैम्पू करती हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि व्यस्क/परिवार के शैम्पू में 5.5 से अधिक पीएच होता है जबकि बच्चे के एक उपयुक्त शैम्पू का पीएच 5.5-6 के बीच होना चाहिए। 6 से अधिक पीएच स्तर हेयर फाइबर सर्फेस के नैगेटिव इलेक्ट्रिकल चार्जेस को बढ़ाता है जिससे फाइबर्स के बीच फ्रिक्शन होता है और इससे क्यूटिकल डैमेज और फाइबर ब्रेकेज की समस्या उत्पन्न होती है।

इसलिए अपने बच्चे के बालों पर इस्तेमाल किए जाने वाले हेयर केयर प्रोडक्ट्स के प्रति सतर्क रहें। वयस्कों/परिवार का शैम्पू जो ज्यादा सख्त और नुकसानदायक हो सकता है के मुकाबले एक माइल्ड, हल्के झाग और खुजली न करने वाला फार्मूला जो बालों और स्कैल्प की गहराई से सफाई करे, आपके बच्चे के बालों और स्कैल्प के लिए बेहतर होगा।